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दो गज कफ़न ,,,,,,,,दो गज कफ़न .......

दो गज कफ़न से मेरी अर्थी सजाओगे॥
मुझको पता है याद तुम बहुत ही आओगे॥
हम हंस के जा रहे है तुम रो के विदा मत करना॥
मेरे चिता में आग तुम ही लगाओ गे॥
यही दुआ करेगे हम तुम नाम करके आना॥
पूछू गा प्रश्न मै तुम उत्तर हमें बताना॥
मेरी सतह से उंच तुम मंजिल बनाओगे॥
अद्भुत बना के रखना अपने नियम कायदे॥
किसी से गलत कभी लेना नहीं फायदे॥
मेरे सखा के फूल तुम गम गमाओ गे॥
कभी किसी से वैर विरोध नहीं करना॥
सच्ची डगर पे सदा ही चलते रहना॥
एकदिन गगन में तारे बन तुम ॥
टिम टिमाओगे॥

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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

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ग़ज़ल

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