स्वतंत्रता दिवस पर विशेष
मुर्ख अशिक्षित धनपशुओं की, मंडप में लगती बोली।
सुंदर शिक्षित बालाओ की, डोली में जलती होली ॥
यह लोकतंत्र है
भरी बाजार दुशासन खींचै, विवश द्रोपती की साड़ी।निशदिन सीता हरण होय, औ पुलिस मस्त पीकर ताडी॥
यह लोकतंत्र है
जनता के रक्षक लगे हुए है, हत्या लूट डकैती में।गुंडागर्दी, अपहरण, फिरौती, शामिल इनकी ड्यूटी में ॥
यह लोकतंत्र है
माननीयों की कृपा हो तो, डकैत की भी चांदी है।माफिया, मिलावटखोर, चोर , नेता, चमचे कट्टाधारी ॥
यह लोकतंत्र है
अधिकारी और माफिया मिल , अरबो का राशन खाय रहे।असहाय गरीब मरें भूखे, चोरकटवे मौज उडाय रहे ॥
यह लोकतंत्र है
गरम मसाला खोया नकली नकली तेल , दवा नकलीसुअर की चर्बी से देशी घी, नकली दूध, दही नकली ॥
यह लोकतंत्र है
बिना दूध देशी घी खोया, माया राज की माया।गैया भैसी के बिना दूध, बुधवा मुस्काया ॥
यह लोकतंत्र है
रक्षा का जिन पर भार, लिप्त है हत्या रिश्वतखोरी में ।थाने में धुत्त दरोगा जी, मातहत वसूली चोरी में॥
यह लोकतंत्र है
सत्य अहिंसा की धरती पर राक्षस नंगे नाच रहे।साधू भेष में छिपे भेडिये, बैठे गीता बांच रहे॥
यह लोकतंत्र है
घर-घर बस्ती में आग लगाते, स्वयं ही पहरेदार यहाँ।अबलाओं की हत्या करवाते, धर्म के ठेकेदार यहाँ॥
यह लोकतंत्र है
रहने को विवश है शिविरों में, लाखो बच्चे व नारी नर।अपने देश शहर में अपने, अपने ही घर में बेघर॥
यह लोकतंत्र है
अब वे देश के शत्रु जिनका, देश के लिए बहा रक्त।अंग्रेजो के स्वमिभक्तो, चाटुकार सब देश भक्त॥
यह लोकतंत्र है
जलता धू-धू गुजरात कभी, तो महाराष्ट्र आसाम कभी।जल रहा उडीसा , सुलग रहा, सिंगूर-नंदीग्राम अभी ॥
यह लोकतंत्र है
मजदूर किसानो के सीने पर, चलती सत्ता की गोली।मनमोहन प्योर मौन देखते, खूनी बंगाली होली॥
यह लोकतंत्र है
गोरस की दूकान गली में, मदिरालय चौराहे पर।जग में सच की हार देख, मैं खड़ा आवाक दोराहे पर॥
यह लोकतंत्र है
-मोहम्मद जमील शास्त्री
नंगे सच का चित्रण किया है.साधुवाद.
ReplyDeleteबहुत सच है!
ReplyDeleteaajadi ke 62 saal ke baad bhi ro rahi hai hamari sanskriti aur bharat ki janata
ReplyDeletebahut sahi chitran kiya aapne