सीधे थे सच्चे सरल थे ,जाने कहां गए ।
कैसे बताएं क्या कहें ,दिल में समा गए।
उनके सभी करम थे, हमारे ही वास्ते ,
क्या क्या न दुःख सुख घात जमाने के भा गए।
प्रेमिल थी हर निगाह थी हर सांस में दुआ ,
लो याद आए अश्रु इन आंखों में आगये ।
सोचा था भूल जायेंगे ,हम साथ वक्त के,
हर वक्त बनके वक्त ,मेरे साथ छागये ।
होकर के दूर भी वो हमसे दूर कब गए,
जब जब भी चाहा 'श्याम हम इस दिल में पागये॥
कैसे बताएं क्या कहें ,दिल में समा गए।
उनके सभी करम थे, हमारे ही वास्ते ,
क्या क्या न दुःख सुख घात जमाने के भा गए।
प्रेमिल थी हर निगाह थी हर सांस में दुआ ,
लो याद आए अश्रु इन आंखों में आगये ।
सोचा था भूल जायेंगे ,हम साथ वक्त के,
हर वक्त बनके वक्त ,मेरे साथ छागये ।
होकर के दूर भी वो हमसे दूर कब गए,
जब जब भी चाहा 'श्याम हम इस दिल में पागये॥
बहुत ही अच्छी ग़ज़ल है!
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