जमशेदपुर : अयोध्या का विवादित ढ़ाचा आजादी के बाद से या कहे की पिछले पचास साल से ज्यादा समय से चर्चा का विषय बना हुआ है. कुछ लोग उसे बाबरी मस्जिद कहते है तो कुछ राम लाला का जन्म स्थान मानते है. एक बात तो साफ़ है जब विवादित बाबरी मस्जिद गिराया गया था तो उस समय लोगो ने यह जानकार गिराया की यहाँ पहले भगवान राम का जन्म स्थान हुआ करता था जो मस्जिद बनने के बाद लुप्त हो गया. क्या कारण है की हम २१ वी सदी में है और इस तरह के अपराध कर बैठते है. लोगो को सोचना तो ये चाहिए की धर्म और जाति के नाम पर लड़ने से हमारा कुछ फ़ायदा नहीं होने वाला है जितना हम लडेंगे दुसरे उतने ही फ़ायदा उठाएंगे. आज एक ढ़ाचा को गिराने के बाद लोग एक समाज खुश होता है तो दूसरा उसकी प्रतिक्रिया देता है. हम हिन्दुस्थान में रहते है. जिस देश में रहते है उसे भारत माता कहते है. अपनी की माँ के आँचल में ऐसा अपराध कर देते है जिससे हमें तो दुखी होते है लेकिन समाज हमसे ज्यादा दुखी होता है.
6 दिसंबर, 1992 को विवादित ढांचा गिराए जाने के प्रतिशोध में 1993 में मुंबई बम विस्फोट हुए। आज बाबरी मस्जिद का ढ़ाचा भले ही गिरा दिया गया हो लेकिन एक बाबरी ढ़ाचा गिराने से क्या होगा. क्या हिन्दुओ के एक ही मंदिर को तोड़ कर मस्जिद बनाया गया था ? ना जाने कितने ही मंदिर को तोड़ कर मस्जिद और मकबरे बनाये गए. लेकिन हम उस काल के आतित में क्यों झाके हम हिन्दू समाज नित्य नए परिवर्तन को स्वीकार्य करता आ रहा है. आज हिन्दुस्तान में ही हिन्दू अल्पसंख्यक में है या होने जा रहे है. यकीन नहीं आता तो २००१ में हुए जनगणना की रिपोर्ट देखे उसमे क्या लिखा है. हिन्दुस्तान में हिन्दू की संख्या में लगातार कमी आ रही है. और अभी जो अल्पसंख्यक है उनकी जनसंख्या में लगातार वृद्धि होती जा रही वो दिन दूर नहीं जब हम हिन्दू ही अल्पसंख्यक कहलाने लगेंगे. मंदिर और मस्जिद के नाम पर लड़ने वाले हिन्दुस्तान के ही लोग है शायद हम हिन्दू और मुस्लिम को ये बात भूलनी नहीं चाहिए की आप भारत में ही लगातार मस्जिद और मंदिरों का निर्माण कर रहे है. क्या कभी आपने सोचा है की हमारी आने वाली पीढी को आप क्या देकर जायेंगे वही मंदिर और मस्जिद जिसे हमारे पूर्वजो ने भी हमें दिया था और हम उसी के कारण आपस में लड़ रहे है. तो मंदिर और मस्जिद को लेकर लड़ने वाले कभी एक नहीं हो सकते ये बात हमें माननी पड़ेगी. मैंने कुलदीप नैयर जी के एक लेख को दैनिक जागरण पर पढ़ा वही पुराना राग जिसे हम जानते है और दोहराते है फिर भी हमारे श्रेष्ट बुजुर्ग हमें वही पुरही बाते फिर क्यों याद दिलाते है.
आलेख- चन्दन कुमार आगे पढ़ें के आगे यहाँ
6 दिसंबर, 1992 को विवादित ढांचा गिराए जाने के प्रतिशोध में 1993 में मुंबई बम विस्फोट हुए। आज बाबरी मस्जिद का ढ़ाचा भले ही गिरा दिया गया हो लेकिन एक बाबरी ढ़ाचा गिराने से क्या होगा. क्या हिन्दुओ के एक ही मंदिर को तोड़ कर मस्जिद बनाया गया था ? ना जाने कितने ही मंदिर को तोड़ कर मस्जिद और मकबरे बनाये गए. लेकिन हम उस काल के आतित में क्यों झाके हम हिन्दू समाज नित्य नए परिवर्तन को स्वीकार्य करता आ रहा है. आज हिन्दुस्तान में ही हिन्दू अल्पसंख्यक में है या होने जा रहे है. यकीन नहीं आता तो २००१ में हुए जनगणना की रिपोर्ट देखे उसमे क्या लिखा है. हिन्दुस्तान में हिन्दू की संख्या में लगातार कमी आ रही है. और अभी जो अल्पसंख्यक है उनकी जनसंख्या में लगातार वृद्धि होती जा रही वो दिन दूर नहीं जब हम हिन्दू ही अल्पसंख्यक कहलाने लगेंगे. मंदिर और मस्जिद के नाम पर लड़ने वाले हिन्दुस्तान के ही लोग है शायद हम हिन्दू और मुस्लिम को ये बात भूलनी नहीं चाहिए की आप भारत में ही लगातार मस्जिद और मंदिरों का निर्माण कर रहे है. क्या कभी आपने सोचा है की हमारी आने वाली पीढी को आप क्या देकर जायेंगे वही मंदिर और मस्जिद जिसे हमारे पूर्वजो ने भी हमें दिया था और हम उसी के कारण आपस में लड़ रहे है. तो मंदिर और मस्जिद को लेकर लड़ने वाले कभी एक नहीं हो सकते ये बात हमें माननी पड़ेगी. मैंने कुलदीप नैयर जी के एक लेख को दैनिक जागरण पर पढ़ा वही पुराना राग जिसे हम जानते है और दोहराते है फिर भी हमारे श्रेष्ट बुजुर्ग हमें वही पुरही बाते फिर क्यों याद दिलाते है.
आलेख- चन्दन कुमार आगे पढ़ें के आगे यहाँ
100% sach hai ye ......... jab hindu 2-4% bachenge tab bhi ye kahenge ki ye bhi hum pe atyachaar karte hain ...........arey inka bas chale to ye hindustaan ke naam ko bhi galat thahraden ........ usme bhi inhe hindu shabd par aitraaj hoga ....... sachmuch pakistaan ab paglanistaan ho gaya hai
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