जो आये थे इस धरती पर इक रह दिखा कर चले गए
जो सबको नवल रोशनी दे वो दीप जला कर चले गए
हाँ गूँज रहा हर और आज उदबोधन उनका जन जन में
आँखें आँसू से भर उठती जगती उनकी श्रद्धा मन में
हो गए अमर दे प्राण दान माँ की बलिवेदी पर अपना
कर गए पूर्ण जो देखा था स्वर्णिम आजादी का सपना
कुर्बानी की राहों पर हाँ हिम्मत से चलने वालों पर
मैं अपने छंद सुनाता हूँ इतिहास बदलने वालों पर
जब नाम गूंजता है उनका श्रद्धा से सर झुक जाते हैं
शोणित की गति हो तेज़ उठे जब याद वीर वो आते हैं
इस भारत माता के सपूत योद्धा अतुलित बलिदानी थे
गोरों के घुटने टिकावाये अद्भुत अचूक सेनानी थे
वो अथक लडे बन शूरवीर करने को युग का परिवर्तन
इस मातृभूमि पर लुटा दिया उन वीरों ने सारा जीवन
रण में बन बिजली टूट पड़े भारत को छलने वालों पर
मैं अपने छंद सुनाता हूँ इतिहास बदलने वालों पर
जलती थी भारत की धरती अंग्रेजी अत्याचारों से
भारतवासी महरूम रहे सत्ता के सब अधिकारों से
लगता था मेरा देश, मुल्क कायरता और गुलामी का
सर झुका झेलते थे सारे हाँ ये कलंक बदनामी का
तब उदित हुए योद्धा विचित्र, चमके बनकर इक अंगारा
थर थर थर हिला दिया मिलकर अंग्रेजों का शासन सारा
क्या और लिखूं मैं आंधी- तूफानों में पलने वालों पर
मैं अपने छंद सुनाता हूँ इतिहास बदलने वालों पर
जय जय जय अमर शहीदों तुम भारत में जन जन के प्यारे
है नमन तुम्हे शत बार नमन चमके जग में सब से न्यारे
यह सारा भारत शीश झुकाता, ऐसे वीर सिपाही तुम
हाँ अमर रहोगे कुर्बानी के पथ के अनुपम राही तुम
बन प्राण धड़कते हो तन में, मन का विश्वास बने हो तुम
बस यही दुआ करता हरदम न हो प्रकाश ये किंचित गुम
तम दूर करें जो धरती का सूरज सा जलने वालों पर
मैं अपने छंद सुनाता हूँ इतिहास बदलने वालों पर
जो सबको नवल रोशनी दे वो दीप जला कर चले गए
हाँ गूँज रहा हर और आज उदबोधन उनका जन जन में
आँखें आँसू से भर उठती जगती उनकी श्रद्धा मन में
हो गए अमर दे प्राण दान माँ की बलिवेदी पर अपना
कर गए पूर्ण जो देखा था स्वर्णिम आजादी का सपना
कुर्बानी की राहों पर हाँ हिम्मत से चलने वालों पर
मैं अपने छंद सुनाता हूँ इतिहास बदलने वालों पर
जब नाम गूंजता है उनका श्रद्धा से सर झुक जाते हैं
शोणित की गति हो तेज़ उठे जब याद वीर वो आते हैं
इस भारत माता के सपूत योद्धा अतुलित बलिदानी थे
गोरों के घुटने टिकावाये अद्भुत अचूक सेनानी थे
वो अथक लडे बन शूरवीर करने को युग का परिवर्तन
इस मातृभूमि पर लुटा दिया उन वीरों ने सारा जीवन
रण में बन बिजली टूट पड़े भारत को छलने वालों पर
मैं अपने छंद सुनाता हूँ इतिहास बदलने वालों पर
जलती थी भारत की धरती अंग्रेजी अत्याचारों से
भारतवासी महरूम रहे सत्ता के सब अधिकारों से
लगता था मेरा देश, मुल्क कायरता और गुलामी का
सर झुका झेलते थे सारे हाँ ये कलंक बदनामी का
तब उदित हुए योद्धा विचित्र, चमके बनकर इक अंगारा
थर थर थर हिला दिया मिलकर अंग्रेजों का शासन सारा
क्या और लिखूं मैं आंधी- तूफानों में पलने वालों पर
मैं अपने छंद सुनाता हूँ इतिहास बदलने वालों पर
जय जय जय अमर शहीदों तुम भारत में जन जन के प्यारे
है नमन तुम्हे शत बार नमन चमके जग में सब से न्यारे
यह सारा भारत शीश झुकाता, ऐसे वीर सिपाही तुम
हाँ अमर रहोगे कुर्बानी के पथ के अनुपम राही तुम
बन प्राण धड़कते हो तन में, मन का विश्वास बने हो तुम
बस यही दुआ करता हरदम न हो प्रकाश ये किंचित गुम
तम दूर करें जो धरती का सूरज सा जलने वालों पर
मैं अपने छंद सुनाता हूँ इतिहास बदलने वालों पर
बहुत उम्दा !!
ReplyDeleteअमर सहीदों की याद में आपने बहुत कुछ लिख दिया
अरुण जी अच्छे लेखन के लिए बधाई !
अच्छी रचना
ReplyDeleteदेश के लिए आप वक़्त निकाल लेते है यही तो देशभक्ति है
उम्दा लगा
बहुत अच्छा है अरुण सर
ReplyDeleteआपका देशप्रेम आपकी कविताओं में झलकता है वास्तव में ये कविता देशभक्ति के भावः जगाने वाली है
आज हमें शहीदों के दिखाए मार्ग पर चलकर आतंकवाद से निपटने की जरूरत है