विनय बिहारी सिंह
रोज मेरे घर के सामने से कुछ कसाई बकरियों का झुंड ले जाते हैं। मैं कोलकाता में रहता हूं। सुबह- सुबह ये बकरियां जिस तरह चिल्लाती हुई जाती हैं, वह विलाप से भी बदतर लगता है। साफ है कि बकरियां जानती हैं कि उनकी हत्या की जाएगी। यह वही समझ सकता है जिसने बकरियों का यह चित्कार सुना हो। मैं रोज यह चित्कार सुन कर हिल जाता हूं। इन बकरियों का मांस खा कर हम कौन सी नियामत पाते होंगे, मेरी समझ से बाहर है। मुझे यह चित्कार कभी नहीं भूलती। सचमुच जो लोग कहते हैं कि मांस खाना अपने पेट को कब्र में तब्दील करना है, वे गलत नहीं कहते। शाकाहार के तो अनगिनत फायदे हैं। आप पहले वे चित्कार सुनें, फिर मांसाहार पर गौर करें। यह चित्कार कोलकाता में ही नहीं, हर कहीं सुनाई दे सकता है। पौधों और पेड़ों के फल व सब्जियां तोड़ना उनकी हत्या नहीं है। अगर आम आप नहीं तोड़ेंगे तो वह स्वतः ही पक कर गिर जाएगा। संतों ने तो कहा ही है-वृक्ष कबहुं न फल भखै, नदी न संचै नीरपरमारथ के कारने, साधुन धरा शरीर। शाकाहार ही मनुष्य के लिए श्रेष्ठ है। ऐसा श्रेष्ठ पोषक तत्व विग्यानियों ने कहा है। (मैं तकनीकी कारणों से ग्य ही लिख पा रहा हूं।)
अगर आप विग्यानियों को विज्ञानियों लिखना चाहते है तो आपको उस पर क्लिक करने पर सही आप्शन लिखा हुआ मिलेगा | उसे चुन कर आप सही लिख लेंगे|
ReplyDeleteसलीम खान
संरक्षक
स्वच्छ सन्देश: हिन्दोस्तान की आवाज़
लखनऊ व पीलीभीत, उत्तर प्रदेश
साकाहार का विरोध करने वाला आपको मुश्किल से मिलेगा
ReplyDeleteअच्छा लिखा है आपने
विनय बिहारी जी....जय हो
ReplyDeleteअच्छा लिखा
ग्य को यदि ज्ञ लिखना है तो इसके लिये j~j टाइप कीजिये। इसी प्रकार यदि हलन्त लगाना हो तो उस अक्षर के बाद में ^^ लगायें !
ReplyDeleteसुशान्त सिंहल