आतंकवाद पर वार करती विनोद बिस्सा जी की कविता ''शर्म करो''
विनोद बिस्सा अब हिन्दुस्तान का दर्द के लिए नया नाम नहीं है इनकी रचनायें सत्य से जुडी हुई होती है तो पढिये बहस का बिगुल बजाती दूसरी कविता ''शर्म करो''!!!
.....शर्म करो......
खिलाड़ियों पर
आतंकी हमला
और सियासती
टिप्पणिया
अब तो शर्म
भी शर्मिंदा है
पर अफसोस
लोकतंत्र के
पहरेदारों के लिये
महज ये
सियासी किस्सा है ...
नहीं फिक्र
किसी को
हैवानियत के
परिणामों की
महज औपचारिकता
बची हैं
चिंता, शोक
श्रद्धांजलियों की ......
..............विनोद बिस्सा
आगे पढ़ें के आगे यहाँ
विनोद जी सच आपकी रचना सत्य से ही जुडी होती है अच्छा लिखा आपने
ReplyDeleteआपकी रचना पड़कर सुखद अनुभव हुआ
ReplyDeleteअच्छी नज्म
आतंकवाद का खात्मा जरुरी है !
शब्दों और सितारों से क्रांति दिखाने वालों जब क्रांति आएगी तो तुमको भी तारे दिखा देगी,,विनोद जी इन शब्दों से खेलना कृपया बंद कीजिये,,वाकई में कुछ कर सकते हैं तो करिए,,अगर कविता लिखने से कुछ हो सकता है,,तो १५ १६ कवितायेँ आप कहें तो में भी पोस्ट कर दूँ,,ये कवि होने के नाटक बंद कीजिये,,बम चाहे पाकिस्तान में गिरें चाहे हिन्दोस्तान में,मरता में ही हूँ,, मरते आप ही हैं....न मनमोहन सिंह मरते हैं... न ज़रदारी,..तो जिन पर आप कविता लिख रहे हैं,,ये अभी अभी आप की बगल से उठकर आतंकवादी बनें हैं,,,ये आतंकवाद का गाना गाना बंद कीजिये,,और वाकई में कुछ कर सकते हैं तो करिए..निशांत कौशिक
ReplyDeletekaushiknishant2@gmail.com
nisant ne sayd theek kha' per sayd islie ki uske comments khud ko telented dikhane ka pryash jyada lagti hai jabki paristhiti madhay ki hain. 9216274911;9779152335.
ReplyDeletenisant ne thik kaha hai jo karna hai vo kar ke dikhaiye,u kavita likhkar aap souch rahe hai ki desh ki pristhiti sudhar jaegi to aap galat
ReplyDeletesouch rahe hai- kajal.