पप्पी,झप्पी और नकली जनता तभी तो इनका काम बनता
एक रियलिटी शो मे एक बड़े संगीतकार , गायक, और अभिनेता को एक अन्य संगीत के साथ वास्ता रखने बाले के साथ झगड़ते देखा ...लड़की काफी जोर की हुई थी ..माहोल गर्म था मैंने सोचा की अब बह टकला और बेसुरा गायक उस दुसरे गायक से बात भी नहीं करेगा लेकिन २ दिन बाद की दोनों एक जगह स्टेज पर गा रहे थे साथ ही साथ नाच रहे थे ,,मैं इसकी तह मैं गया की आखिर इतने जल्दी सुलह कैसे हो गयी ....पता चला की बह लडाई झूटी मूटी थी ..यह तो शो बालों का ही कारनामा था शो हित करने के लिए ....बात और आगे गयी तो पता चला की जिस एंकर को एक लड़की ने पप्पी ली थी बह भी झूटी मूटी थी और उस खून चूसने वाले अभिनेता की पप्पी भी सिर्फ एक सैम्पल थी ..हां उसको जो मजा आया था बह असली रहा होगा !!!बात निकली थी तो दूर तक तो जाने ही थी मैं एकः जब ये सब योजना के तहत होता है तो जनता देखने आती ही क्यों है ...महाशय हस पड़े कौन सी जनता ...वो जनता तो खुद नकली है जो शो देखने के पैसे लेती है ..क्योंकि १ घंटे के शो की रिकॉडिंग मे ८ घंटे लगते है किसी जनता के पास इतना टाइम नहीं होता सो पैसे देकर ही बुलाना पड़ता है ...मुझे पता चला की एक बार शो की रिकॉर्डिंग देर तक चली तो नकली दर्शक डबल पैसे मांगने लगे थे !!!एस ऍम एस के फंडे के लिए इस प्रकार की अनोखी हरकतें करनी पड़ती है जो जनता को बेबकूफ बनाती है मैंने एक लड़के को समझाया की यह सब झुट होता है तुम क्यों टाइम बर्बाद कर रह हो ..तो बह बड़ा उछाल कर बोला की मैं भी कौन सा एस ऍम एस करता हूँ मैं भी फर्जी मतलब बिना बैलेंस के ही एस ऍम एस करता हूँ और सबको लगता है मैं एस ऍम एस कर रहा हूँ !!मैंने कहा ठीक भैया एस ऍम एस का फंडा कभी रहता है तेज तो कभी मंदा !!! पर रियलिटी की रियलिटी पर फर्जिपना का बैनर लग चुका है !
संजय सेन सागर
आपने अच्छा लिखा है बिलकुल सच लिखा है ऐसा कई बार हो चूका है जो मुझे इस तरह का अनुभव हुआ है!!
ReplyDeleteआज सच के नाम पर बस दिखावा ही है !!!बहुत बढ़िया संजय जी!!
yeah...its true...nice narration...
ReplyDeleteby the way which application are u using for type in Hindi..? when i was searching for the easy, user friendly Hindi typing tool and found....'quillpad'..do u use the same...?
टेलिविज़न की नौटंकी का पर्दाफाश करता आपका लेख बहुत खूबसूरत!!!
ReplyDeleteबहुत खूब संजय....
ReplyDelete.हमारे यहाँ का दुर्भाग्य की हम सच को स्वीकार नहीं करते
झूठ में जीने की आदत हो गयी है सबको