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जीएसटी दरें, सरकार के लिए चुनौती, जनता को राहत

लेख-

सरकार का जीएसटी घटाने का निर्णय सही है या नहीं, यह इस पर निर्भर करता है कि इसे किस पर लागू किया गया और किस आर्थिक स्थिति में किया गया। अगर जीएसटी आवश्यक वस्तुओं (जैसे खाद्यान्न, दवा, शिक्षा सेवाएँ, एमएसएमई को आवश्यक कच्चा माल) पर घटाया गया है तो यह आम जनता और छोटे व्यवसायों के लिए राहतकारी है। टैक्स कम करने से खपत और उत्पादन बढ़ता है, जिससे अर्थव्यवस्था को गति मिलती है। अगर दरें घटाकर अनुपालन आसान होता है और अधिक व्यापारी जीएसटी नेटवर्क में आते हैं तो लंबे समय में सरकार का टैक्स कलेक्शन भी बढ़ सकता है। अगर जीएसटी लक्ज़री वस्तुओं या गैर-जरूरी वस्तुओं पर घटाया गया है तो इसका लाभ आम जनता तक नहीं पहुँचता और सरकार की कमाई घट जाती है। अगर सरकार पहले से ही राजकोषीय घाटे से जूझ रही हो तो टैक्स घटाने से उसकी वित्तीय स्थिति और बिगड़ सकती है। अगर बिना रणनीति के सिर्फ़ राजनीतिक दबाव में टैक्स घटाया गया हो तो यह स्थायी समाधान नहीं है। अगर सरकार ने आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं पर जीएसटी घटाया है तो यह बिल्कुल सही कदम है क्योंकि इससे जनता, उद्योग और अर्थव्यवस्था, तीनों को लाभ होगा। लेकिन अगर यह कमी गैर-जरूरी वस्तुओं या बिना वित्तीय संतुलन बनाए की गई है, तो लंबे समय में यह चुनौती खड़ी कर सकती है।
 
भारत में जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) की दर घटाने के फायदे-
1. उपभोक्ताओं के लिए फायदे-सस्ती वस्तुएँ और सेवाएँ→ जीएसटी घटने से रोज़मर्रा के सामान और सेवाओं की कीमतें कम होंगी, जिससे आम जनता को राहत मिलेगी।
खपत में बढ़ोतरी→ जब सामान और सेवाएँ सस्ती होंगी तो लोग ज़्यादा खरीददारी करेंगे।

2. व्यापार और उद्योग के लिए फायदे-
मांग बढ़ेगी → सस्ती कीमतों से बिक्री बढ़ेगी, जिससे व्यापार और उद्योग को सीधा लाभ होगा।
अनौपचारिक से औपचारिक अर्थव्यवस्था की ओर रुझान → कम टैक्स दरें कर चोरी की प्रवृत्ति घटाएँगी और अधिक लोग जीएसटी नेटवर्क से जुड़ेंगे।
उद्योगों की प्रतिस्पर्धात्मकता → अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय उत्पाद और सेवाएँ सस्ती होंगी, जिससे निर्यात को बढ़ावा मिलेगा।

3. सरकार और अर्थव्यवस्था के लिए फायदे-
कर संग्रहण का दायरा बढ़ेगा→ टैक्स रेट घटने पर अधिक व्यवसाय जीएसटी का पालन करेंगे, जिससे सरकार का कुल टैक्स कलेक्शन लंबे समय में बढ़ सकता है।
आर्थिक विकास को बढ़ावा→ खपत और उत्पादन बढ़ने से ळक्च् की ग्रोथ तेज़ होगी।
निवेश आकर्षित होंगे→ स्थिर और कम टैक्स दरें विदेशी निवेशकों को भारत में निवेश करने के लिए प्रेरित करेंगी।
 
1. सरकार के लिए नुकसान-
कर संग्रहण पर असर→ तुरंत असर यह होगा कि सरकार की टैक्स से कमाई घटेगी, जिससे बजट घाटा बढ़ सकता है।
विकास परियोजनाओं पर असर→ शिक्षा, स्वास्थ्य, आधारभूत संरचना जैसी योजनाओं में फंड की कमी हो सकती है।

2. अर्थव्यवस्था के लिए चुनौतियाँ-
अल्पकालिक घाटा→ मांग बढ़ने का फायदा लंबे समय में दिखेगा, लेकिन शुरुआती दौर में सरकार को घाटा उठाना पड़ सकता है।
राज्यों की आय पर असर→ राज्यों की बड़ी कमाई जीएसटी से होती है, दर घटने पर उनकी वित्तीय स्थिति कमजोर हो सकती है।

3. व्यापार और उद्योग के लिए चुनौतियाँ-
दर संरचना में भ्रम→ अगर अलग-अलग वस्तुओं पर जीएसटी दरें बार-बार बदली जाएँ, तो उद्योगों और कारोबारियों के लिए अनुपालन जटिल हो सकता है।
दीर्घकालिक असंतुलन→ अगर टैक्स दरें बहुत कम हो जाएँ तो सरकार को दूसरे कर (जैसे आयकर या उपकर) बढ़ाने पड़ सकते हैं, जिससे असंतुलन पैदा होगा।

4. सामाजिक प्रभाव
लोकलुभावन दबाव→ बार-बार दरें घटाने की मांग राजनीतिक रूप से बढ़ सकती है, जिससे कर प्रणाली की स्थिरता प्रभावित होगी।

(समाप्त)

-डॉ. चेतन आनंद
 (कवि एवं पत्रकार)


 

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