ऐ मेरे मन ...ऐ मेरे में..ऐ मेरे में ..
आज तू है उदास क्यों इतना ,
कैसी चिंता ने तुझको घेरा है |
किन ख्यालों में आज डूबा हुआ,
कौन से गम ने डाला डेरा है ||.....ऐ मेरे मन ...
हमने देखे जो सपने तू उन्हें याद न कर,
टूटे सपनों की किसी से तू फ़रियाद न कर |
तेर सपने थे कि सुन्दर ज़हां बसायेंगे,
देश संस्कृति को नए ढंग से सजायेंगे |.....ऐ मेरे मन ....
मिट गए देश की खातिर जो लिए सिर पै कफ़न,
मिट गए चाह लिए एसा व स्वाधीन वतन |
मिट गए आस लिए देश बनेगा ये चमन |
लुट गए देश पै ,बन जाए यही राहे- अमन ||.......ऐ मेरे मन ....
बात अब देश संस्कृति की न करता कोई,
उन शहीदों की भी राहों पै न चलता कोई |
याद में वीरों की अब कौन लगाए मेले ,
बीर रस के भी नहीं गीतों को सुनता कोई ||......ऐ मेरे मन ....
श्याम, चलिए जहां गम के न हों मेले कोई,
हम अकेले हों न हों सारे झमेले कोई |
याद में वीरों की पथ-दीप जलाए जाएँ,
उन की रहां को भी पुष्पों से सजाये कोई ||
ऐ मेरे मन ....ऐ मेरे मन .... ऐ मेरे मन .....||
आज तू है उदास क्यों इतना ,
कैसी चिंता ने तुझको घेरा है |
किन ख्यालों में आज डूबा हुआ,
कौन से गम ने डाला डेरा है ||.....ऐ मेरे मन ...
हमने देखे जो सपने तू उन्हें याद न कर,
टूटे सपनों की किसी से तू फ़रियाद न कर |
तेर सपने थे कि सुन्दर ज़हां बसायेंगे,
देश संस्कृति को नए ढंग से सजायेंगे |.....ऐ मेरे मन ....
मिट गए देश की खातिर जो लिए सिर पै कफ़न,
मिट गए चाह लिए एसा व स्वाधीन वतन |
मिट गए आस लिए देश बनेगा ये चमन |
लुट गए देश पै ,बन जाए यही राहे- अमन ||.......ऐ मेरे मन ....
बात अब देश संस्कृति की न करता कोई,
उन शहीदों की भी राहों पै न चलता कोई |
याद में वीरों की अब कौन लगाए मेले ,
बीर रस के भी नहीं गीतों को सुनता कोई ||......ऐ मेरे मन ....
श्याम, चलिए जहां गम के न हों मेले कोई,
हम अकेले हों न हों सारे झमेले कोई |
याद में वीरों की पथ-दीप जलाए जाएँ,
उन की रहां को भी पुष्पों से सजाये कोई ||
ऐ मेरे मन ....ऐ मेरे मन .... ऐ मेरे मन .....||
वाह श्याम सुन्दर जी
ReplyDeleteबहुत सुन्दर गीत, मन प्रसन्न हो गया
बहुत बहुत शुभकामना
बहुत सुन्दर गीत्……………गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें।
ReplyDeleteधन्यवाद दीप व वन्दना जी..
ReplyDeleteगीत भला क्या होते हैं
बस एक कहानी है।
मन के सुख दुख अनुबन्धों की
व्यथा सुहानी है.....
धन्यवाद दीप व बन्दना जी....
ReplyDeleteगीत भला क्या होते हैं
बस एक कहानी है।
मन के सुख दुख अनुवन्धों की
व्यथा सुहानी है
श्याम, चलिए जहां गम के न हों मेले कोई,
ReplyDeleteहम अकेले हों न हों सारे झमेले कोई |
याद में वीरों की पथ-दीप जलाए जाएँ,
उन की रहां को भी पुष्पों से सजाये कोई ||
सारा ही गीत बहुत खुबसूरत !
सुन्दर रचना !
धन्यवाद मीनाक्षी जी---पथ-दीप जलाये चलिये
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