
शादी के बाद घर आते ही बहू को उल्टियां होने लगीं। दो महीने बाद डॉक्टर ने बताया कि वह गर्भवती है। सोनोग्राफी हुई तो पता चला कि गर्भ में तीन महीने का बच्चा है। शादी को दो ही महीने हुए और तीन महीने का बच्चा! इस बारे में बहू से पूछा तो उसने बताया कि वह बच्चा उसके मौसाजी का है।
बहू रोकर कहने लगी कि मैं आत्महत्या कर लूंगी। मैंने उसे समझाया कि मैं उसका साथ दूंगी। मौसा को बुलाकर बात की, तो उसने बच्चे का पूरा खर्च उठाने की जिम्मेदारी ली। कुछ समय बाद बहू ने एक बेटी को जन्म दिया। बच्चे के होने के बाद मौसा कभी-कभी कुछ रुपए दे जाता था। अब उससे पैसे मांगो तो वह आत्महत्या करने की धमकी देता है। मेरी आर्थिक स्थिति भी इतनी अच्छी नहीं है कि मैं किसी का भला कर पाऊं। मुझे समझ नहीं आ रहा है कि क्या करूं?
सराहनीय सुझाव : आशा नय्यर कपूरथला, पंजाब
आपकी उलझन पतंग की डोर की तरह है। आपने वक्त रहते बात सम्भाल ली और मामला वहीं खत्म हो गया। रही बात पैसों की, तो यही बच्ची आपके बेटे की होती और बिल्कुल ठीक समय पर होती, तो क्या आप परवरिश आदि खर्चो के लिए किसी दूसरे पर निर्भर रहतीं? बहू के मौसाजी ने आपको एक बार क्व5,000 दिए हैं, तो आपको उसी में संतुष्ट हो जाना चाहिए।
बार-बार गड़े मुर्दे उखाड़ेंगी, तो वह तकलीफ ही देंगे। हां! मौसाजी से आप सभी का दूर रहना ही अच्छा है। जब आपने किसी से अभी तक यह बात नहीं कही, तो अब भी इसे राज ही रखें। उस बच्ची को अपने कुल की मान लें और दिल से स्वीकार करें। बहू को अपनी बेटी माना है, तो एक मां की तरह उसकी ज़िंदगी के हिस्से को भुलाना ही होगा, तभी आपका परिवार खुश रह सकेगा।
सराहनीय सुझाव : लोकेन्द्र वर्मा धामनोद, मध्यप्रदेश
आपने सारी बातें जानने के बाद भी अपनी बहू और बच्ची को अपनाया। इससे बढ़कर और कोई बात नहीं हो सकती। लेकिन अब आपको मौसाजी से किसी प्रकार की मदद नहीं लेनी चाहिए। एक बार तो वे आपकी बहू की कमजोर आर्थिक स्थिति का फायदा उठा चुके हैं, उन्हें दोबारा ऐसा कोई मौका न दें। आपने बच्ची को अपना लिया है, तो अब उसे मौसाजी की संतान मानने की भूल न करें। अपना मानकर ही उसकी परवरिश करें।
सराहनीय सुझाव देवकरण जोशी तारानगर, राजस्थान
मैं आपके साहस की दाद देना चाहूंगा कि आपने बहू का साथ दिया। बहू के मौसाजी ने उस वक्त अपनी इज्जत बचाने के लिए कुछ भी मानने को स्वीकार थे, लेकिन जीवनभर वे बच्ची का लालन-पालन करेंगे, ऐसा मानकर आपने भूल की है। अब अपनी गृहस्थी आप लोगों को स्वयं ही सम्भालनी होगी। मौसा से कोई भी उम्मीद रखना व्यर्थ है। आपकी आर्थिक स्थिति कमजोर है, तो बेटा ओर बहू को मिलकर मेहनत करें। जैसे भी निभे लेकिन जिम्मेदारियां, तो आप लोगों को ही निभानी होगी और यह आपसी सहयोग से ही सम्भव हो सकेगा।
आपने बहु का साथ देकर बहुत अच्छा काम किया है .मौसा से अब दूरी ही अच्छी है .बच्ची के सही पालन पोषण के लिए सिर्फ पैसा ही जरूरी नहीं बल्कि संस्कार भी जरूरी है .अब बच्ची को मौसा जैसे गंदे लोगे लोगों की chhaya से भी दूर रखिये .जो रिश्तों की मर्यादा नहीं जानते उनसे दूरी ही अच्छी है .
ReplyDeleteशिखा जी की बात से पूर्ण सहमत हूँ,आज रिश्ते नातों की कद्र करने वाले खो गए है...ऐसी स्तिथि में मौसा से दूर रहना की बेहतर होगा क्योंकि बहक तो कोई भी सकता है लेकिन उसके बाद संभलकर की सब कुछ फिर से सवारा जा सकता है
ReplyDeleteबेहद सराहनीय प्रयास बस अब आप उसका साथ देते रहे और पीछे मुड्कर नही देखें अब तो वो आपके घर का अंग है…………आज के ज़माने मे ऐसे उदाहरण देखने को नही मिलते……………प्रशंसनीय्।
ReplyDeleteमै आपकी हिम्मत कि दाद देती हु कि आपने अपनी बहु के बच्चे के बारे मै जान कर भी उसका पूरा साथ दिया पर उस वक़्त आप और महान होती जब आप उस बच्चे के खर्च के लिए किसी और के आगे हाथ न फेलाती जिससे आपकी बहु को बार - बार उस आह का सामना न करना पड़ता !
ReplyDeleteधन्यवाद !
बहुत बड़े जिगर वाले ही ऐसी हिम्मत कर सकते हैं. आपने सबकुछ जानते हुए भी एक उजड़ते घर को संभाला और दो जिन्दगियों को समाज में थू-थू होने और दर दर भटकने से बचा लिया... सदा यूँ ही अपनी संतान समझ साथ देते रहें...
ReplyDeleteआप ने बहुत अच्छा काम किया बस अब आप अपने बहू का साथ दें और किसी पे निर्भर ना रहें,
ReplyDeleteक्योंकि बच्ची अब आप की है, और उसकी परवरिस आप को ही करनी होगी|
आप ने बहुत अच्छा काम किया बस अब आप अपने बहू का साथ दें और किसी पे निर्भर ना रहें,
ReplyDeleteक्योंकि बच्ची अब आप की है, और उसकी परवरिस आप को ही करनी होगी| और इसी तरह बहू का साथ देतीं रहें,
हम सब की शुभ कामनाएं आप के साथ हैं |