Skip to main content

ऍन डी तिवारी और डी ऍन ऐ टेस्ट

कोंग्रेस के कभी वरिष्ठ नेता रहे नारायण दत्त तिवारी इन दिनों अपने पूर्व प्रेम जाल के कारण परेशान हें वी तो उनके खिलाफ खुद उनकी पार्टी के ही लोग लगे हें क्योंके वोह कुछ साला पहेल सोनिया गाँधी को विदेशी कहकर कोंग्रेस से अलग हो गये थे और तिवारी कोंग्रेस का गठन किया था फिर वोह माफ़ी मांग कर वापस कोंग्रेस में आ गये और कोंग्रेस ने तिवारी को राज्यपा के ओहदे से नवाज़ा बस वहीं से तिवारी का बुरा वक्त शुरू हुआ , तिवारी के एक कथित बेटे रोहित ने दावा किया हे के ऍन डी तिवारी उनके पिता हे और रोहित की मां उज्ज्वल जो कोंग्रेसी कार्यकर्ता थीं उनसे इनके ताल्लुकात थे , अब रोहित ने हाईकोर्ट में इसे सही साबित करने के लियें तिवारी के डी ऍन ऐ टेस्ट की दरख्वास्त लगाई जो मंजूर भी कर ली गयी , हाईकोर्ट ने तिवारी को डी ऍन ऐ टेस्ट के आदेश दिए हें वेसे पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ऐसे टेस्ट जो किसी व्यक्ति की स्वतन्त्रता का हनन करते हों उसके लियें इंकार कर चुका हे लेकिन हाईकोर्ट का आदेश हे इसलियें मानना तो होगा ही या फिर सुप्रीम कोर्ट में इस आदेश की अपील करना होगी सच किया हे यह तो पता नहीं लेकिन हर नाजायज़ ओलाद की मां अपने बेटे को सबूतों सहित अगर सफेद पोश बापों का नाम बताने लगे और फिर ऐसे बच्चे बढ़े होने के बाद इस लड़ाई को लढे तो देश में जारता और हरामखोरी अय्याशी पर रोक लग सकेगी क्योंकि डी ऍन ऐ टेस्ट ऐसे सभी बापों की पोल खोल कर रख देगा देखते हें तिवारी जी के साथ क्या होता हे लेकिन दुसरे नेता जो महिला कार्यकर्ताओं को उपभोग की वस्तू मानकर मज़े करते हें उनकी तो अभी रातों की नींद हराम हो गयी होगी । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

Comments

Popular posts from this blog

डॉ.प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी के अनन्य वक्ता थे -केदारनाथ सिंह

डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा