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बुढापे में चढ़ी जवानी

दोस्तों कहते हें के ऊमर के किसी भी पढाव पर जिस्म चाहे बुढा हो जाए लेकिन दिल हे के हमेशां जवान ही रहता हे और प्यार , दिल्लगी की कोई ऊमर नहीं होती हे ऐसा ही एक सच कोटा में देखने को मिला ८५ साल के मदनमोहन शर्मा कोटा पाटनपोल सतही मथुराधीश के मन्दिर पर दर्शन के लियें जाते थे वहां उनकी मुलाक़ात एक ६५ साल की महिला से हो गयी दोनों की रोज़ बातचीत ने दोनों का अकेला पन दूर किया और एक दुसरे को एक दुसरे के इतना नजदीक कर दिया के दोनों ने इस ऊमर के पढाव पर एक दूजे के लियें एक दूजे के साथ रहने की कसमें खा लीं , मदनमोहन जी कहने को तो ८५ सक जे हें लेकिन पुलिस के सेवानिव्र्ट अधिकारी हे इसलियें उन्होंने अपनी प्रेमिका का हाथ थमा और क्लेत्रेट ले जाकर विशेष विवाह अधिनियम के प्रावधानों के तहत विवाह रचने का आवेदन पेश किया अब जब मिडिया को पता चला तो वोह कहाँ चुप होने वाला था पहुंच गया उनकी निजी जिंदगी में दखल देने के लियें किसी ने कहा के प्यार मोहब्बत से इसका कोई सम्बन्ध नहीं महिला को सेवानिव्रत्त पुलिस अधिकारी की पेंशन दिलवाने के लियें यह प्रपंच रचा गया हे लेकिन मामला कुछ भी हो फ़िलहाल तो दिल का ही मामला लग रहा हे और दोनों व्र्द्धाश्र्म के सी पढ़ाव पर जब उन्हें राम राम की लो लगने वाली थी तब विधि अनुसार समाज के सारे कायदे कानून ताक में रख कर दिल की आवाज़ सुन कर दिल का मामला हे की तर्ज़ पर समाज के सामने आ गये हें इश्वर उनके इस प्यार की मान मर्यादा कायम रखे । अख्तर कहाँ अकेला कोटा राजस्थान

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डॉ.प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी के अनन्य वक्ता थे -केदारनाथ सिंह

डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा