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भारत माता ---डा श्याम गुप्त ..

भारत माता

भाल रचे कुंकुम केसर, निज हाथ में प्यारा तिरंगा उठाये।
राष्ट्र के गीत बसें मन में, उर राष्ट्र के ज्ञान की प्रीति सजाये।
अम्बुधि धोता है पाँव सदा, नैनों में विशाल गगन लहराए।
गंगा यमुना शुचि नदियों ने, मणि मुक्ता हार जिसे पहनाये।
है सुन्दर ह्रदय प्रदेश जहां, हरियाली जिसकी मन भाये ।
भारत माँ शुभ्र ज्योत्सनामय, सब जग के मन को हरषाये।

हिम से मंडित इसका किरीट,गर्वोन्नत गगनांगन भाया।
उगता रवि जब इस आँगन में, लगता सोना है बिखराया।
मरुभूमि व सुन्दरवन से सज़ी, दो सुन्दर बाहों युत काया।
वो पुरुष पुरातन विन्ध्याचल, कटि- मेखला बना हरषाया ।
कण कण में शूर वीर बसते, नस नस में शौर्य भाव छाया।
हर तृण ने इसकी हवाओं के, शूरों का परचम लहराया ।

इस ओर उठाये आँख कोई, वह शीश न फिर उठ पाता है।
वह दृष्टि न फिरसे देख सके, जो इस पर जो दृष्टि गढ़ाता है ।
यह भारत प्रेम -पुजारी है, जग हित ही इसे सुहाता है ।
हम विश्व शान्ति हित के नायक, यह शान्ति दूत कहलाता है।
यह विश्व सदा से भारत को, गुरु जगत का कहता आता है।
इस युग में भी यह ज्ञान ध्वजा, नित नित फहराता जाता है।

इतिहास बसे अनुभव संबल, मेधा बल वेद ऋचाओं में।
अब रोक सकेगा कौन इसे, चल दिया पुनः नव राहों में।
नित नव तकनीक सजाये कर, विज्ञान का बल ले बाहों में।
नव ज्ञान तरंगित इसके गुण, फैले अब दशों दिशाओं में।
नित नूतन विविध भाव गूंजें, इस देश की कला कथाओं में।
ललचाते देव, मिले जीवन, भारत की सुखद हवाओं में।

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ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा

डॉ.प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी के अनन्य वक्ता थे -केदारनाथ सिंह

डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...