महकती सी जिंदगी की किताब पर..........
गुनगुनाते सुरों के इस साज़ पर ........
एक गीत गा रही है जिंदगी !
कुछ खास सुना रही है जिंदगी !
सुबह का सूरज यहाँ पर चढ़ रहा !
चाँद की रौशनी को मद्धम कर रहा !
रात अपने आप को समेट कर !
सुबह के स्वागत मै जेसे लग रहा !
किसी के मिलन की बेला आ रही !
किसी को विरह जेसे बुला रही !
एक क्षण जिंदगी जेसे हंसा रही !
एक क्षण जिंदगी जेसे रुला रही !
रोज़ फूल कर रही श्रृंगार है !
रोज़ धुल उसको नहला रहा !
रोज़ पतंगे दीप पे हैं मिट रहे !
एक मीत पे असंख्य मीत मिट रहे !
धर रही है उम्र कामना का शरीर !
टूट रही है किसी के सांसो की लड़ी !
एक घर बसा रही है जिंदगी !
एक घर मिटा रही है जिंदगी !
खुश है अगर जिंदगी योवन लिए हुए !
रो रहा है बुडापा सांसो को समेटे हुए !
एक पल जेसे सुला रही है जिंदगी !
एक पल जेसे हंसा रही है जिंदगी !
जा रही बहार एक सवेरा लिए हुए !
आ रही है रात जलती शमा लिए हुए!
एक बार जो लेके आती है जिंदगी !
दुसरे पल देके भी तो जाती है जिंदगी !
बहुत सुन्दर ज़िन्दगी का फ़लसफ़ा।
ReplyDeleteधर रही है उम्र कामना का शरीर !
ReplyDeleteटूट रही है किसी के सांसो की लड़ी !
एक घर बसा रही है जिंदगी !
एक घर मिटा रही है जिंदगी !
सच बहुत ही खूबसूरत शब्द..निरंतर जारी रखें...
शब्दों के तानो बानों में जिन्दगी को बहुत ही खूबसूरती से वर्णित किया है आपने..............
ReplyDeleteआप सभी मित्रो का मै तहे दिल से शुक्रिया करती हु की आपने लेख पड़ने के लिए अपना कीमती समय इसे दिया !आपकी इसी शक्ति को पाकर हम आगे लिखने मै सक्षम हो पाते हैं दोस्त धन्यवाद !
ReplyDeleteएक छण जैसे हम्सा रही है ज़िन्दगी,
ReplyDeleteएक छण जैसे रूला रही है ज़िन्दगी,
ज़िन्दगी की धूप छांव क सुन्दर विषलेशण । ब्धाई।
शक्रिया दोस्त !
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