कितनी प्यारी होती हैं बेटियां
हर घर को रोशन बनाती हैं बेटियां
पापा की भी दुलारी होती हैं बेटियां
ओस की बूंदों सी नम होती हैं बेटियां
कली से भी नाजुक होती हैं बेटियां
सपर्श मै अपनापन ना हो तो रो देती बेटियां
रोशन करता बेटा तो सिर्फ एक ही कुल को
दो -दो घरों की लाज निभाती हैं बेटियां
सारे जहां से प्यारी होती हैं बेटियां
पलकों मै पली , सांसो मै बसी धरोहर होती हैं बेटियां
विधि का विधान कहो, या दुनिया की रस्मो को मानो
मुठी मै भरे नीर सी होती हैं बेटियां
चाहे सांसे थम जाये बाबुल की ,
हथेली पीली होते ही पराई हो जाती बेटियां !
बिल्कुल सही ,
ReplyDeleteएक उम्दा सकारात्मक सोच को दर्शाती कविता।
सार्थक और सराहनीय प्रस्तुती ..शानदार प्रेरक ब्लोगिंग के लिए आभार
ReplyDeleteएक सुकून सा हुआ आपकी कविता पढकर .
अच्छी रचना.
बहुत सुन्दर.
धन्यवाद संजय हमे तुम्हारे जवाब देने का अंदाज़ बहुत पसंद है दोस्त !
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत भाव्।
ReplyDeleteकितनी प्यारी होती बेटिया सुंदर रचना
ReplyDeleteशुक्रिया दोस्तों !
ReplyDeletebohot bohot khubsurat rachna... badhaiyan :)
ReplyDeleteधन्यवाद दोस्त !
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