तुम मेरे जजमान हो॥
मै शमशान का पंडा॥
लाशें यहाँ हमेशा आती॥
यही कर्म मेरा धंधा॥
जवान बेटो की अर्थियो पर॥
माँ बाप के आंसुओ की बूँद होती ॥
पत्थर दिल भी पिघल जाता है॥
जब विधवाए बिलख के रोटी है॥
फिर भी उनको ठगता हूँ॥
बन करके अंधा॥
तुम मेरे जजमान हो॥
मै शमशान का पंडा॥
बहनों की अर्थियो पर ॥
भाइयो की सूनी कलाई॥
माँ की याद में बच्चे॥
भूखे पेट राते बिताई॥
कर्म मेरा प्रधान है॥
पर काला इसका पर्दा॥
तुम मेरे जजमान हो॥
मै शमशान का पंडा॥
बाप की अर्थी लिए बेटा आता है॥
कर्म समझ के क्रिया कर्म करता है॥
पूचता है विधि विधाता के पास जायेगे॥
क्या हमारे कुल में फिर वापस आयेगे।
ग़मगीन दिलो से भी करते है खर्चा॥
तुम मेरे जजमान हो॥
मै शमशान का पंडा॥
मै शमशान का पंडा॥
लाशें यहाँ हमेशा आती॥
यही कर्म मेरा धंधा॥
जवान बेटो की अर्थियो पर॥
माँ बाप के आंसुओ की बूँद होती ॥
पत्थर दिल भी पिघल जाता है॥
जब विधवाए बिलख के रोटी है॥
फिर भी उनको ठगता हूँ॥
बन करके अंधा॥
तुम मेरे जजमान हो॥
मै शमशान का पंडा॥
बहनों की अर्थियो पर ॥
भाइयो की सूनी कलाई॥
माँ की याद में बच्चे॥
भूखे पेट राते बिताई॥
कर्म मेरा प्रधान है॥
पर काला इसका पर्दा॥
तुम मेरे जजमान हो॥
मै शमशान का पंडा॥
बाप की अर्थी लिए बेटा आता है॥
कर्म समझ के क्रिया कर्म करता है॥
पूचता है विधि विधाता के पास जायेगे॥
क्या हमारे कुल में फिर वापस आयेगे।
ग़मगीन दिलो से भी करते है खर्चा॥
तुम मेरे जजमान हो॥
मै शमशान का पंडा॥
main shamshaan kaa pandaa hun ,ek achchhee kawitaa hai
ReplyDeletebhavpoorna kavita...........ati sundar
ReplyDeletethankyou sir,,,,
ReplyDeletedil me antardwand badhaati aapki rachna bahut bahut acchhi lagi.
ReplyDeletethankyou anamika ji,,,
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