श्रवण गर्ग
विधि मंत्री वीरप्पा मोइली का कहना है कि एंडरसन के खिलाफ गैस त्रासदी संबंधी मामला अभी खत्म नहीं हुआ है। मोइली के कथन से न तो नब्बे साल की उम्र के करीब पहुंच रहे वारेन एंडरसन की सेहत पर कोई फर्क पड़ता है और न ही एक-चौथाई शताब्दी के बाद भी त्रासदी की शारीरिक और मानसिक यंत्रणाएं भुगत रहे भोपाल के लाखों बाशिंदों के स्वास्थ्य पर। सरकार का यह कदम भी पूरे मामले को नौकरशाही के ठंडे बस्ते में सरका देने से ज्यादा अहमियत नहीं रखता कि इतनी बड़ी त्रासदी को लेकर आगे की कार्रवाई पर विचार के लिए मंत्रियों का एक समूह गठित कर दिया गया है। केंद्र सरकार की झोली में पहले से ही ऐसे कई मसले जमा हो चुके हैं जिन पर फैसलों के लिए मंत्रियों के समूह काम कर रहे हैं। हकीकत तो यह है कि अपनी हिफाजत को लेकर नागरिकों में उनके ही द्वारा चुनी जाने वाली सरकारों के प्रति भरोसा लगातार कम होता जा रहा है। पर इस त्रासदी का कोई इलाज भी नहीं है और उसकी किसी भी अदालत में सुनवाई भी नहीं हो सकती कि सरकारों को अपने प्रति कम होते जनता के यकीन को लेकर कौड़ी भर चिंता नहीं है। जनता पर राज करने वालों को पता है कि उन्हें न तो भगोड़ा करार दिया जा सकता है और न ही उनके खिलाफ कोई अपराध कायम किया जा सकता है। वारेन एंडरसन को भोपाल छोड़ने के लिए आखिरकार सरकारी विमान ही तो उपलब्ध कराया गया था। देश पूरी फिक्र के साथ किसी नई त्रासदी की प्रतीक्षा अवश्य कर सकता है।
यह एक ऐसा दर्द है जो कभी भी हल्का न होगा...
ReplyDeleteहमेशा इन आँखों से आंसू रिश्ते रहेंगे............!!