ला सकते तो वापस ला दो॥
उस सच्ची सच्चाई को॥
भ्रष्टाचार को भंग कर दो॥
कुछ कम कर दो महगाई को॥
घपले पर घपला कब तक होगा॥
कब तक भूखे मरेगे लोग॥
कब तक आबरू लुटती रहेगी॥
कब तक रहेगा कुरिया में शोक॥
दिन दुपाहरे लुटे खजाना ॥
बंद करो ढिठाई को॥
कब तक रारी रार करेगे॥
कब जायेगी अन्याय की डोर॥
कब आयेगा न्याय का मौसम॥
कब नाचेगे आँगन में मोर॥
ऐसा नियम बना दो दाता॥
छुए न लोग बुराई ॥
भ्रष्टाचार को भंग कर दो॥
कुछ कम कर दो महगाई को॥
उस सच्ची सच्चाई को॥
भ्रष्टाचार को भंग कर दो॥
कुछ कम कर दो महगाई को॥
घपले पर घपला कब तक होगा॥
कब तक भूखे मरेगे लोग॥
कब तक आबरू लुटती रहेगी॥
कब तक रहेगा कुरिया में शोक॥
दिन दुपाहरे लुटे खजाना ॥
बंद करो ढिठाई को॥
कब तक रारी रार करेगे॥
कब जायेगी अन्याय की डोर॥
कब आयेगा न्याय का मौसम॥
कब नाचेगे आँगन में मोर॥
ऐसा नियम बना दो दाता॥
छुए न लोग बुराई ॥
भ्रष्टाचार को भंग कर दो॥
कुछ कम कर दो महगाई को॥
ला सकते तो वापस ला दो॥
ReplyDeleteउस सच्ची सच्चाई को॥
भ्रष्टाचार को भंग कर दो॥
कुछ कम कर दो महगाई को॥
भ्रष्टाचार ने तो देश का बेडा गर्क करके रखा है. आज उपभोक्तावाद के चलते सभी इस और भागे जा रहे है, न आगे कोई देखा रहा है न पीछे. शिस्टाचार बन गया है यह आज का......... बहुत अच्छा लगा हिंदुस्तान का dard काश! लोग समझ पाते इस दर्द को .
Subhkamnaye.
sab gaa rahe hain ; koee yah to bataaye kyaa karana chahiye?
ReplyDeletekavitaa..ji aap ki soch bahut sahi hai lekin jaise Dr. shyam ji ne likhaahai kyaa karnaa chaahiye chaahiye yahi jitane bhrast log hai unpar shikanja kaayade se kashaa jaye jisase desh tarakki kare. sukh shanti aaye..
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