रूठ कर के अगर तुम चले भी गए॥
बाद में तुमको वापस आना पडेगा॥
है सच्चाई गर यूं मेरे प्यार में॥
बाद में तुमको मुझको मनाना पडेगा॥
हमने अपना बनाया तुम्हे जान के॥
प्यार दिल ने जगाया तुम्हे मान के॥
मेरा पल्लू गिरा है किनारे पे जा॥
अपने हाथो से साजन उठाना पडेगा॥
मैंने थाली सजायी प्रिये प्रेम की॥
उसमे मोती जडी है स्नेह की॥
usame प्यार की ज्योति जलाना पडेगा॥
बाद में तुमको वापस आना पडेगा॥
है सच्चाई गर यूं मेरे प्यार में॥
बाद में तुमको मुझको मनाना पडेगा॥
हमने अपना बनाया तुम्हे जान के॥
प्यार दिल ने जगाया तुम्हे मान के॥
मेरा पल्लू गिरा है किनारे पे जा॥
अपने हाथो से साजन उठाना पडेगा॥
मैंने थाली सजायी प्रिये प्रेम की॥
उसमे मोती जडी है स्नेह की॥
usame प्यार की ज्योति जलाना पडेगा॥
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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर