निष्ठुर निर्दयी कपटी बन कर॥
धरती पर करते पाप क्यो इतना॥
मानव जीवन सरल नही है॥
इसको खीचो बाधे उतना॥
उपकार करोगे उत्तम जीवन की॥
लय तुम्हे मिल जायेगी॥
तेरी करनी धरनी की गाथा॥
उत्तम प्राकृत गाये गी॥
असहाय और निर्दोष व्यक्ति पर॥
कभी न अत्याचार करो॥
हो सके तो मोटा छोटा॥
थोडा बहुत उपकार करो॥
धरती पर करते पाप क्यो इतना॥
मानव जीवन सरल नही है॥
इसको खीचो बाधे उतना॥
उपकार करोगे उत्तम जीवन की॥
लय तुम्हे मिल जायेगी॥
तेरी करनी धरनी की गाथा॥
उत्तम प्राकृत गाये गी॥
असहाय और निर्दोष व्यक्ति पर॥
कभी न अत्याचार करो॥
हो सके तो मोटा छोटा॥
थोडा बहुत उपकार करो॥
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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर