Skip to main content

लो क सं घ र्ष !: ह्रदय-उपवन में एक बार ,प्रिय ! ........


युग-युग से प्यासे मन का , कुछ तो तुम प्यास बुझाते।
ह्रदय-उपवन में एक बार ,प्रिय ! अब तो जाते॥

प्रतिक्षण रही निहार, अश्रुपूरित में आँखें राहें।
मधुर मिलन को लालायित ये विह्वल व्याकुल बाहें

दुःख भरी प्रेम की नगरी में, कुछ मधुर रागिनी गाते
ह्रदय-उपवन में एक बार , प्रिय ! अब तो जाते

इस निर्जन उपवन में भी, करते कुछ रोज बसेरा
यहीं डाल देते प्रियवर ! मम उर में अपना डेरा॥

करते हम तन - मन न्योछावर ,जीवन - धन - दान लुटाते
ह्रदय - उपवन में, एक बार, प्रिय ! अब तो जाते।

सेज सजाकर तुम्हें सुलाते , निशदिन सेवा करते।
इक टक पलकें खोल, नयन भर तुमको देखा करते

निज व्यथित नयन - वारिधि में, प्रिय ! स्नान कराते
ह्रदय उपवन में एक बार , प्रिय ! अबतो जाते

अब पलक -पाँवडे राहो में , नयनो के बिछा दिए है।
पग-पग पर हमने प्राणों के, दीपक भी जला दिए है॥

शून्य - शिखर जीवन - पथ हे, मंगलमय इसे बनाते
ह्रदय - उपवन में एक बार, प्रिय! अब तो जाते

कट सकेंगी तुम बिन , जीवन की लम्बी राहें
रुक सकेंगी तुम बिन , दुःख- दर्द भरी ये आहें॥

निर्जीव व्यथित मम उर में , आशा का दीप जलाते
ह्रदय उपवन में एक बार, प्रिय ! अब तो जाते॥

खुले रहेंगे सजल नयन , तृष्णा का अंत होगा।
मधुर-मिलन जीवन , एक बार भी यदि होगा॥

विनती है यही तन-मन की, श्वासों में बस जाते।
ह्रदय-उपवन में एक बार-प्रिय ! अब तो जाते॥

-मोहम्मद जमील शास्त्री

Comments

Popular posts from this blog

डॉ.प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी के अनन्य वक्ता थे -केदारनाथ सिंह

डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा