चढी जवानी झटका मारय
हिले लागे खूंटा॥
खड़ी अकेली करी ishaaraa ॥
आवा पानी म डूबा॥
पोर पोर म रस भर आवा॥
देहिया ले अंगडाई॥
अबतो उड़े का भागे manwaa॥
बतिया केसे बतायी॥
खडा खडा मुह ताकत बाटेया॥
कैसे कही की हमका लूटा॥
हसी हसी म लार टपके॥
अंखिया भाई बेहाल॥
केहू आय के पकड़ के हमका॥
जम के करत हलाल॥
चढत उमारिया के अन्दर अन्दर॥
लागत जैसे सोता फूटा॥
चढी जवानी झटका मारय
हिले लागे खूंटा॥
हिले लागे खूंटा॥
खड़ी अकेली करी ishaaraa ॥
आवा पानी म डूबा॥
पोर पोर म रस भर आवा॥
देहिया ले अंगडाई॥
अबतो उड़े का भागे manwaa॥
बतिया केसे बतायी॥
खडा खडा मुह ताकत बाटेया॥
कैसे कही की हमका लूटा॥
हसी हसी म लार टपके॥
अंखिया भाई बेहाल॥
केहू आय के पकड़ के हमका॥
जम के करत हलाल॥
चढत उमारिया के अन्दर अन्दर॥
लागत जैसे सोता फूटा॥
चढी जवानी झटका मारय
हिले लागे खूंटा॥
kya baat hai
ReplyDeletebhut hi badiya lagi aap ki ye rachna
laajawaab
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'चर्चा' पर पढ़िए: पाणिनि – व्याकरण के सर्वश्रेष्ठ रचनाकार
thank you gargi ji and vinay ji
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