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नेता जी.. (पोस्टर)

गली गली चौराहे पर॥
हमको चिपकाया लोगो ने॥
घर घर के दीवारों पर ॥
हमको लटकाया लोगो ने॥
जूते चप्पल की नदी बही थी॥
हमको जलाया लोगो ने॥
जे जे कार के नारे लगते॥
माला पहनाया लोगो ने॥
नदी खेत और जंगल में॥
हमको दौडाया लोगो ने॥
हाथी घोडा और गधा के ऊपर॥
हमको बैठाया लोग ने॥
नदी तालाब ईनारो में॥
हमको फेक्वाया लोगो ने॥
गन्दी गन्दी सड़क किनारे॥
झाडू पकडाया लोगो ने॥
शूट बूट को उतार के फेका॥
धोती पहनाया लोगो ने॥
बुरे कर्म की लाल जो स्याही॥
उसको पकडाया लोगो ने॥
१२व्यन्जन की पकवान का॥
स्वाद चखाया लोगो ने॥
अब कुर्सी से खिसक गया हूँ॥
उससे उतरवाया लोगो ने॥

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ग़ज़ल

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