कुछ पल तो रुक के देख ले
राहों के रंग न जी सके ,कोई ज़िंदगी नहीं ।
यूंही चलते जाना दोस्त ,कोई ज़िंदगी नहीं।
कुछ पल तो रुक के देख ले,क्या-क्या है राह में,
यूंही राह चलते जाना कोई ज़िंदगी नहीं।
चलने का कुछ तो अर्थ हो,कोई मुकाम हो,
चलने के लिए चलना ,कोई ज़िंदगी नहीं।
कुछ ख़ूबसूरत से पड़ाव,यदि राह में न हों,
उस राह चलते जाना,कोई ज़िंदगी नहीं।
ज़िंदा दिली से ज़िंदगी को,जीना चाहिए ,
तय रोते सफर करना,कोई ज़िंदगी नहीं।
इस दौरे भागम-भाग में,सिज़दे में प्यार के,
कुछ पल झुके तो इससे बढ़कर बंदगी नहीं।
कुछ पल ठहर ,हर मोड़ पे ,खुशियाँ तू ढूंढ ले ,
उन पल से बढ़के 'श्याम ,कोई ज़िंदगी नहीं॥
राहों के रंग न जी सके ,कोई ज़िंदगी नहीं ।
यूंही चलते जाना दोस्त ,कोई ज़िंदगी नहीं।
कुछ पल तो रुक के देख ले,क्या-क्या है राह में,
यूंही राह चलते जाना कोई ज़िंदगी नहीं।
चलने का कुछ तो अर्थ हो,कोई मुकाम हो,
चलने के लिए चलना ,कोई ज़िंदगी नहीं।
कुछ ख़ूबसूरत से पड़ाव,यदि राह में न हों,
उस राह चलते जाना,कोई ज़िंदगी नहीं।
ज़िंदा दिली से ज़िंदगी को,जीना चाहिए ,
तय रोते सफर करना,कोई ज़िंदगी नहीं।
इस दौरे भागम-भाग में,सिज़दे में प्यार के,
कुछ पल झुके तो इससे बढ़कर बंदगी नहीं।
कुछ पल ठहर ,हर मोड़ पे ,खुशियाँ तू ढूंढ ले ,
उन पल से बढ़के 'श्याम ,कोई ज़िंदगी नहीं॥
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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर