दुनिया में अगर दर्द का मौसम नही होता -
चेहरों पे तबस्सुम का ये आलम नही होता ।
क्या चीज मुहब्बत है ये हम कैसे समझते -
अश्को से अगर दामने दिल नम नही होता ।
इक वो है की माथे पे हमावत है शिकने-
इक मैं हूँ कि किसी हाल में वह हम नही होता।
-डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेल 'राही '
चेहरों पे तबस्सुम का ये आलम नही होता ।
क्या चीज मुहब्बत है ये हम कैसे समझते -
अश्को से अगर दामने दिल नम नही होता ।
इक वो है की माथे पे हमावत है शिकने-
इक मैं हूँ कि किसी हाल में वह हम नही होता।
-डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेल 'राही '
Comments
Post a Comment
आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर