........और ग़ज़ल अधूरी रह गयी
खफा हैं हमसे सहर आजकल,शब की बाते शायद पूरी रह गयी
साथ चल दिए हर्फ रोशनी के, और ग़ज़ल अधूरी रह गयी
खवाब बुनते बुनते माहिर हो गए,बस हकीक़त से थोडी दुरी रह गयी
ख्वाबदार न हुए किस्से हकीक़त के, और ग़ज़ल अधूरी रह गयी
थकन ने कहा करीब हैं मंजिल,खामोश तब नूरी रह गयी
न लिख सके राज़ सफ़र के, और ग़ज़ल अधूरी रह गयी
मेरी गली में वो शज़र न रहा,छाँव की वो धुरी ढह गयी
मुरझा गए लफ्ज़ साये के, और ग़ज़ल अधूरी रह गयी
रस्ते पार मंजिल बिखर गयी,आंखे 'प्रसून' घुरी रह गयी
फासलों तक के हिसाब न मिले, और ग़ज़ल अधूरी रह गयी
अमन 'प्रसून'
खफा हैं हमसे सहर आजकल,शब की बाते शायद पूरी रह गयी
साथ चल दिए हर्फ रोशनी के, और ग़ज़ल अधूरी रह गयी
खवाब बुनते बुनते माहिर हो गए,बस हकीक़त से थोडी दुरी रह गयी
ख्वाबदार न हुए किस्से हकीक़त के, और ग़ज़ल अधूरी रह गयी
थकन ने कहा करीब हैं मंजिल,खामोश तब नूरी रह गयी
न लिख सके राज़ सफ़र के, और ग़ज़ल अधूरी रह गयी
मेरी गली में वो शज़र न रहा,छाँव की वो धुरी ढह गयी
मुरझा गए लफ्ज़ साये के, और ग़ज़ल अधूरी रह गयी
रस्ते पार मंजिल बिखर गयी,आंखे 'प्रसून' घुरी रह गयी
फासलों तक के हिसाब न मिले, और ग़ज़ल अधूरी रह गयी
अमन 'प्रसून'
खफा हैं हमसे सहर आजकल,शब की बाते शायद पूरी रह गयी
ReplyDeleteसाथ चल दिए हर्फ रोशनी के, और ग़ज़ल अधूरी रह गयी
नयापन लिए हुए ,बेहतरीन गज़ल