उदास क्यों हो उदास क्यों हो
तुम इस कदर बाद हवास क्यों हो
उदास होने से फ़ायदा क्या
बताओ रोने से फ़ायदा क्या
जो हो चुका उसपे ख़ाक डालो
नए रास्ते तुम निकालो
उड़ान टूटे परों में भर लो
हवा के लश्कर को तुम फतह कर लो
उदास क्यों हो उदास क्यों हो
तुम इस कदर बदहवास क्यों हो .
तुम इस कदर बाद हवास क्यों हो
उदास होने से फ़ायदा क्या
बताओ रोने से फ़ायदा क्या
जो हो चुका उसपे ख़ाक डालो
नए रास्ते तुम निकालो
उड़ान टूटे परों में भर लो
हवा के लश्कर को तुम फतह कर लो
उदास क्यों हो उदास क्यों हो
तुम इस कदर बदहवास क्यों हो .
महोदय आपकी कविता के भाव सुन्दर है मगर आपने जैसा की पोस्ट का नाम लिखा है ये गजल नहीं है क्योकि न काफिया है न रदीफ़
ReplyDeleteगजल व बहर के विषय में कोई भी जानकारी चाहिए हो तो सुबीर जी के ब्लॉग पर जाइये
इसे पाने के लिए आप इस पते पर क्लिक कर सकते हैं।
आप यहाँ जा कर पुरानी पोस्ट पढिये
वीनस केसरी
BAHUT SUNDAR RACHNA..JISE PADH KAR MAZA AAYA...
ReplyDeleteshukriya rajneesh ji aur venus ji koshish karenge jo bhi kamiyan usko door karein
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