तेरे ग़म के पनाह में अर्से बिते
आरजू के गुनाह में अर्से बिते
अब तो तन्हाई है पैरहम दिल की
सपनों को दारगाह में अर्से बिते
कुछ तो बिते हुए वक्त का तकाज़ा है
कुछ तो राहों ने शौकया नवाजा है
जब से सपनों में तेरा आना छुटा
नींद से मुलाक़ात के अर्से बिते
बिते हुए लम्हों से शिकवा नहीं
मिल जाए थोड़ा चैन ये रवायत नही
मेरे टुकडो में अपनी खुशी ढूँढो ज़रा
बिखरे इन्हे फुटपाथ पे अर्से बिते .......
आरजू के गुनाह में अर्से बिते
अब तो तन्हाई है पैरहम दिल की
सपनों को दारगाह में अर्से बिते
कुछ तो बिते हुए वक्त का तकाज़ा है
कुछ तो राहों ने शौकया नवाजा है
जब से सपनों में तेरा आना छुटा
नींद से मुलाक़ात के अर्से बिते
बिते हुए लम्हों से शिकवा नहीं
मिल जाए थोड़ा चैन ये रवायत नही
मेरे टुकडो में अपनी खुशी ढूँढो ज़रा
बिखरे इन्हे फुटपाथ पे अर्से बिते .......
बहुत बहुत शुक्रिया कि आपको मेरी शायरी पसन्द आयी !
ReplyDeleteआपने बहुत ही खुबसूरत रूप से विस्तार किया है ! आप की हर एक कहानी और कविता लाजवाब है!
bahut khub
ReplyDeletemai apki shayari apani magzine samay darpan hindi online magzine mai laga sakata hoo
ReplyDeletehamari site h wwwsamaydarpan.com h
e-mail- samaydarpan@gmail.com
par apana coment bhaj sakate h