लोकसभा के चुनाव आ रहे हैं, आगे पढ़े लागु हो गई है...हर पार्टी अपने - अपने प्रत्याशी खड़े कर रही है जिनको टिकट मिल गया है या मिलने वाला है उन्होंने लोगो के पास चक्कर लगाने शुरू कर दिए हैं वोटो के लिए । लेकिन जब भी चुनाव आते हैं हमारे पास शिकायतों के भण्डार निकल आते हैं की यह नहीं किया, वो नही किया, जो किया था तो वो बेकार हो गया, उसका रखरखाव नही किया.......हमें यह सब शिकयेते करने का हक नहीं है क्यूंकि इन सब चीजों के जिम्मेदार हम लोग हैं और कोई नहीं हैं ।
कभी अपने आप से पुछा हैं की तुम कितने नियमो का पालन करते हो? तुमने अपने अलावा कभी किसी के बारे मे सोचा है? हम हमेशा नियम तोड़त हैं, कानून को तोड़ते हैं और सरकार पर इल्जाम लगाते है की उन्होंने क़ानून की कमर तोड़ दी है जबकि ऐसा कुछ नहीं हैं ।
हम मे से कितने लोग हैं जो सड़क पर चलते वक्त सारे कानूनों का पालन करता है, बगैर हेलमेट, बगैर लाईसेन्स, तीन सवारी बैठा कर चलते हैं जब पुलिस वाला रोकता है तो उसको पचास रूपये दे कर निकल जाते है,लाल बत्ती को क्रॉस करने में हमें बहुत मज़ा आता है,जहाँ चाहे गाड़ी खड़ी कर देते हैं खासकर "नो पार्किंग" के बोर्ड के सामने, कोई कुछ कहता है तो उससे अकड़ते है हमेशा यही कोशिश रहती है सत्ताधारी पार्टी का झंडा हमारी गाड़ी पर लगा हो । अब इतने नियम तोड़ने के बाद हमें यातायात व्यवस्था ख़राब है यह कहने का हक नहीं हैं।
सड़क पर चलते हुए हमें चिप्स, सुपारी, कोल्ड ड्रिंक का शौक हैं लेकिन हम कूडेदान का इस्तेमाल से परहेज़ करते हैं, क्यूंकि आगे पढ़ें
कभी अपने आप से पुछा हैं की तुम कितने नियमो का पालन करते हो? तुमने अपने अलावा कभी किसी के बारे मे सोचा है? हम हमेशा नियम तोड़त हैं, कानून को तोड़ते हैं और सरकार पर इल्जाम लगाते है की उन्होंने क़ानून की कमर तोड़ दी है जबकि ऐसा कुछ नहीं हैं ।
हम मे से कितने लोग हैं जो सड़क पर चलते वक्त सारे कानूनों का पालन करता है, बगैर हेलमेट, बगैर लाईसेन्स, तीन सवारी बैठा कर चलते हैं जब पुलिस वाला रोकता है तो उसको पचास रूपये दे कर निकल जाते है,लाल बत्ती को क्रॉस करने में हमें बहुत मज़ा आता है,जहाँ चाहे गाड़ी खड़ी कर देते हैं खासकर "नो पार्किंग" के बोर्ड के सामने, कोई कुछ कहता है तो उससे अकड़ते है हमेशा यही कोशिश रहती है सत्ताधारी पार्टी का झंडा हमारी गाड़ी पर लगा हो । अब इतने नियम तोड़ने के बाद हमें यातायात व्यवस्था ख़राब है यह कहने का हक नहीं हैं।
सड़क पर चलते हुए हमें चिप्स, सुपारी, कोल्ड ड्रिंक का शौक हैं लेकिन हम कूडेदान का इस्तेमाल से परहेज़ करते हैं, क्यूंकि आगे पढ़ें
अच्छे विचार हैं। पड़कर अच्छा लगा
ReplyDeleteकाशिफ जी,सबसे पहले तो मैं आपको बात दूं की मैं हमारा हिन्दुस्तान का सदस्य हूँ,शायद आपने ठीक से देखा नहीं! और रही बात ब्लॉग जोड़ने की तो इसके लिए आपको आवेदन भेजना होता है जो अभी तक हमें प्राप्त नहीं हुआ !
ReplyDeleteऔर दोस्त क्या गलत है क्या सही इसका फैसला आप एक पल में नहीं कर सकते,तो इस तरह की जल्दबाजी मत कीजिये! क्योंकि यदि आप हमारे ब्लॉग का सहयोग कर रहे है तो यह आपकी इच्छा है हम आपको इसके लिए मजबूर नहीं करेंगे !
और सच बात तो यह है की ''हिन्दुस्तान का दर्द'',''फाइट फॉर नेशन''में ही इतना व्यस्त होता हूँ की कही और लिखने का समय नहीं मिल पाता,पर हां ब्लॉग सबका देखता हूँ ! सो आगे आप समझदार है,विवेक से निर्णय करें !
हां हमें सिकयत करने का हक़ नहीं है
ReplyDelete