"भूतकाल में स्त्रियों का अपमान किया जाता था और और उनका प्रयोग केवल काम वासना के लिए किया जाता था|"इतिहास से लिए निम्न उदहारण इस तथ्य की पूर्ण व्याख्या करते हैं कि पूर्व की सभ्यता में औरतों का स्थान इस क़दर गिरा हुआ था कि उनको प्राथमिक मानव सम्मान भी नहीं दिया गया था -
बेबीलोन सभ्यता
औरतें अपमानित की जातीं और बेबिलोनिया के कानून में उनको हक और अधिकार से वंचित रखा जाता था | यदि कोई व्यक्ति किसी औरत की हत्या कर देता था तो उसको दंड देने के बजाये उसकी पत्नी को मौत के घाट उतार दिया जाता था |
यूनानी सभ्यता
इस सभ्यता को प्राचीन सभ्यताओं में अत्यंत श्रेष्ट माना जाता है| इस 'अत्यंत श्रेष्ट' व्यवस्था के अनुसार औरतों को सभी अधिकारों से वंचित रखा जाता था और वे नीच वस्तु के रूप में देखी जाती थी | यूनानी देवगाथा में 'पान्डोरा' नाम की एक काल्पनिक स्त्री पूरी मानवजाति के दुखों की जड़ मानी जाती है | यूनानी लोग स्त्रियों को पुरुषों के मुकाबले तुच्छ मानते थे | हालाँकि उनकी पवित्रता अमूल्य थी और उनका सम्मान किया जाता था, लेकिन बाद में यूनानी लोग अंहकार और काम वासना में लिप्त हो गए | वैश्यावृत्ति यूनानी समाज के हर वर्ग में आम रिवाज़ बन गयी थी |
रोमन सभ्यता
जब रोमन सभ्यता अपने गौरव के चरम सीमा पर थी, उस समय एक पुरुष को अपनी पत्नी का जीवन छिनने का अधिकार था | वैश्यावृत्ति और नग्नता रोमन सभ्यता में आम थी|
मिश्री सभ्यता
मिश्री सभ्यता स्त्रियों को शैतान का रूप मानते थे|
इस्लाम से पहले का अरब
इस्लाम से पहले अरब में औरतों को नीचा मन जाता था और जब कभी किसी लड़की का जन्म होता था तो आमतौर पर उसे दफना दिया जाता था |
"इस्लाम में औरतों की जो स्थिति है, उस पर सेक्युलर मिडिया का ज़बरदस्त हमला होता है| वे परदे और इस्लामी लिबास को इस्लामी कानून में स्त्रियों की दासता के मिसाल के रूप में पेश करते हैं | जबकि यह बिलकुल ही झूठ है और पश्चिमी समाज का डर है, जो उन्हें ऐसा करने पर मजबूर कर रहा है |"
सलीम खान,
स्वच्छ सन्देश: हिन्दोस्तान की आवाज़, लखनऊ व पीलीभीत, उत्तर प्रदेश
dusri sabhytaon kuprathaon aur rudhiyon ko gina kar apni sreshthta sabit karne ka prayatna sarthak nahi hai . is kram mein shyad vaidik sabhyta ko bhul gaye jahn striyon ko maa ka darja prapt tha . jis sabhyta ne maitri aur gargi aur bharti jaisi mahilaon ko widushi ka darja dekar samannit kiya .
ReplyDeletejayram ji in kalon ki baat kar rahe ho aaj naari ko mahaj bhog ki vastu mana ja raha hai,aap logon jaise mard ki badolat hi aaj narion ka ghar se nikla muskil hai
ReplyDeletekyun bahen maina aisa kya kiya hai? aur main jis kaal ki baat kar raha hoon uske bare mein aapne shyad padha ya suna nahi hai lagta hai . aur rahi bat nari ke wartmaan sthiti ki to aapko khullam -khulla bolte dekh mujhe aaj bhi nari ki sthiti kuchh had tak sudri lagti hai .
ReplyDeletesabse pahle to nari swam ko kamjoor aur purush se alag manna band kare . kyunki prakriti ne stri -purush ko saath nibhane k liye rach hai .
aap jaise mard ka tatpary nahi samjha ! aisa to tabhi likha ja sakta tha jab aap mujhe kafi achche se janti hon . is tarah iljam lagana galat hai
ReplyDeleteजय हिन्दुस्तान-जय यंगिस्तान
ReplyDeleteओह ओह तो मसला गरम हो रहा है
jayram ji aap logon ki yah ladai purani to nahi hai
ReplyDeletebahut badhiya lekh... i found here something new and meaningful creation
ReplyDeleteIf all of you want to know about the status of woman in vadic sabhyata i.e. Indo-Aryan Societies. Please prefer to http://www.geocities.com/Athens/Ithaca/1335/Soc/w_ary.html
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ReplyDeleteलेकिन मैं वेदों और उसमें दिए गए उन सामाजिक क़ानूनों और तरीकों का समर्थक हूँ, जो हमारे वर्तमान भारतीय समाज के लिए हितकर है |
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