Skip to main content

यहाँ तो चलेगी हमारी मर्जी

आज आपको जीवन के एक और अनुभव से परिचित कराती हूॅँ। जिसमें सरकारी दफ्तर के कर्मचारीयेां की कामचोरी साफ नजर आती है। जाने कितने सरकारी दफ्तर है। जहाँ पर काम करने की समय सीमा कर्मचारियों की मर्जी पर ही निर्भर करती है। काम के लिए निर्धारित समय सीमा कर्मचारियों के लिए कोई मायने नहीं रखती।
बात कुछ दिन पहले कि है। घर पर कोई होने के कारण बिजली का बिल जमा करने की जिम्मेदार मेरे सर थी। वही शिवरात्रि की छुट्टी पर अपने घर भिण्ड जाने का मन भी था। सो शनिवार को बिल जमा करने का मन बना लिया। अब मैने सबसे पहले बिल देखा जिस पर बिल जमा करने के लिए सुबह नौ बजे से शांम 4 बजे का समय दिया था। इसलिए जल्दी जल्दी सारे काम खत्म कर 2 बजे के करीब पास ही के सर्विस क्रमांक पर पहुँची। वहाँ पहुँची तो देखा कि बिल जमा करने वाली खिडकी बन्द हो चुकी अब मैने दोबारा बिल पर दिए समय को देखना उचित समझा कहीं मैने देखने मैने कोई गलती तो नहीं कर दी पर मै सही थी। अब मै दफ्तर के अन्दर गई वहाँ मैने ऊगता हुआ आदमी बैठे हुए देखा और मैने उससे बिल जमा करने के लिए बोला तो बो उबासी लेते हुए बोला यहाँ बिल केबल दो बजे तक ही जमा होते है मैने बोला लेकिन बिल पर तो 4 बजे तक का समय लिखा हुआ है। तो वह गुस्से मै बोला पर यहाँ 2 बजे तक ही होते है। ज्यादा पूछने पर बोला आपको बिला जमा करना है या नहीे साथ ही ये भी बता दिया कि अब दो दिन छुट्टी है इसलिए यहाँ जमा नहीं होगा आपको दूसरे सर्विस क्रमांक पर जाना होगा। अब बिल तो जमा करना ही था सो आज ही दूसरे सर्विस क्रमांक पर जाने का निर्णय ले लिया वो थोडी दूर जरूर था पर जाना तो था ही। अब देखते है कि यहाँ भी खिड़की बन्द हो चुकी है। चलो यहाँ एक गनीमत थी कि बिल जमा करने की समय अवधि लिखी हुई थी लेकिन बिल के अनुसार वो भी गलत थी सोमवार से शनिवार सुबह 9 बजे से 3 बजे तक और अवकाश वाले दिन 9 बजे से 1 बजे तक मैने अपनी घड़ी मे देखा मै 5 मिनट लेट थी। अब बिल जमा हो जाए इस लालच मैं अन्दर जाकर पूछना उचित समझा इतने मै एक अंकलजी ने खिड़की से झाककर पूछा क्या है। मैने बोला बिल जमा करना था। तब उनका उत्तर था यहाँ बिल एक बजे तक जमा होते है। मैने कहा यहां तो 3 बजे का समय दिया है। हम तो एक बजे तक ही जमा करते है। शायद उन्होने धड़ी मै समय नहीं देखा था वर्ना उन्हे बहस करने की जरूरत नहीं पड़ती बहुत विनयपूर्वक कहने पर भी वे जमा करने को तैयार नहीं हुए। मेरे ये कहने पर की इस बिल पर तो 4 बजे तक का समय दिया हुआ है। तब उनका उत्तर था। कि बिल तो जबलपुर से छपकर आते है उससे यहां का कोई लेन देना नहीं है। मैने पूछा कि अब इस बिल के कारण उपभोक्ता को होने वाली परेसानी के लिए कौन जिम्मेदार है। तब उन्होने कहा कि उपभेाक्ता को पता कर लेना चाहिए कि बिल कब तक जमा किए जाते है। इतनी सारी जानकारी लेने के बाद आखिर निरास होकर घर लौटना पड़ा।
अब आप ही बताइये कि बिना समय सारणी के भी कोई दूसरा तरीका है। जिससे कर्मचारियों का कब तक काम करने का मन है। ये जाना जा सकें।

Comments

  1. बेहद अच्छा लिखा है आपने

    ReplyDelete
  2. अपनी तकलीफ लिख कर बहुत अच्छा किया आपने। अपने देश और समाज में क्या चल रहा है और क्यों हम पिछड़ रहे हैं, यह किसी से छुपा नहीं है। लेकिन इसे बार- बार लोगों के सामने लाया जाना चाहिए। अपने देश और समाज को आगे बढ़ाने के बदले छोटी छोटी बातों पर किस तरह लोगों को दौड़ाया जाता है, यह इसकी मिसाल है। कैसे सुधरेगा अपना देश और कब बिल जमा करना एक सहज काम हो पाएगा। क्या हर साधारण काम जद्दोजहद वाला ही हो जाएगा? अच्छा किया आपने लिख कर। -vinay bihari singh

    ReplyDelete
  3. सही कहा आपने............... कैसा कि आपके साथ बीता है, यहाँ हमारे देश में इसका एक ही इलाज है

    वो है

    सरकारी कर्मचारियों का नार्को टेस्ट होना चाहिए| जिसकी रिपोर्ट के आधार पर यह पता लग सके कि व वाकई सिर्फ तनख्वाह लेकर जनता की सेवा करेंगे या घुस लेकर, पहली चीज़| दूसरी चीज़ ये कि वो वाकई अपने कार्य के समयावधि तक काम करेंगे या जैसा कि ऊपर आपने पढ़ा, कामचोरी करेंगे |

    मैं यह बात नेताओं पर भी लागु करवाने के पक्ष में हूँ| एक नवगठित पार्टी पीस पार्टी के मुखिया डॉ. मोहम्मद अय्यूब ने भी यही मांग उठाई है|

    ReplyDelete
  4. सटीक लेखन के लिए बधाई !

    ReplyDelete

Post a Comment

आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

Popular posts from this blog

हाथी धूल क्यो उडाती है?

केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

खुशवंत सिंह की अतृप्त यौन फड़फड़ाहट

अतुल अग्रवाल 'वॉयस ऑफ इंडिया' न्यूज़ चैनल में सीनियर एंकर और 'वीओआई राजस्थान' के हैड हैं। इसके पहले आईबीएन7, ज़ी न्यूज़, डीडी न्यूज़ और न्यूज़24 में काम कर चुके हैं। अतुल अग्रवाल जी का यह लेख समस्त हिन्दुस्तान का दर्द के लेखकों और पाठकों को पढना चाहिए क्योंकि अतुल जी का लेखन बेहद सटीक और समाज की हित की बात करने वाला है तो हम आपके सामने अतुल जी का यह लेख प्रकाशित कर रहे है आशा है आपको पसंद आएगा,इस लेख पर अपनी राय अवश्य भेजें:- 18 अप्रैल के हिन्दुस्तान में खुशवंत सिंह साहब का लेख छपा था। खुशवंत सिंह ने चार हिंदू महिलाओं उमा भारती, ऋतम्भरा, प्रज्ञा ठाकुर और मायाबेन कोडनानी पर गैर-मर्यादित टिप्पणी की थी। फरमाया था कि ये चारों ही महिलाएं ज़हर उगलती हैं लेकिन अगर ये महिलाएं संभोग से संतुष्टि प्राप्त कर लेतीं तो इनका ज़हर कहीं और से निकल जाता। चूंकि इन महिलाओं ने संभोग करने के दौरान और बाद मिलने वाली संतुष्टि का सुख नहीं लिया है इसीलिए ये इतनी ज़हरीली हैं। वो आगे लिखते हैं कि मालेगांव बम-धमाके और हिंदू आतंकवाद के आरोप में जेल में बंद प्रज्ञा सिंह खूबसूरत जवान औरत हैं, मीराबा

Special Offers Newsletter

The Simple Golf Swing Get Your Hands On The "Simple Golf Swing" Training That Has Helped Thousands Of Golfers Improve Their Game–FREE! Get access to the Setup Chapter from the Golf Instruction System that has helped thousands of golfers drop strokes off their handicap. Read More .... Free Numerology Mini-Reading See Why The Shocking Truth In Your Numerology Chart Cannot Tell A Lie Read More .... Free 'Stop Divorce' Course Here you'll learn what to do if the love is gone, the 25 relationship killers and how to avoid letting them poison your relationship, and the double 'D's - discover what these are and how they can eat away at your marriage Read More .... How to get pregnant naturally I Thought I Was Infertile But Contrary To My Doctor's Prediction, I Got Pregnant Twice and Naturally Gave Birth To My Beautiful Healthy Children At Age 43, After Years of "Trying". You Can Too! Here's How Read More .... Professionally