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एक से अधिक पति रखना क्यूँ मना है?

पिछले सन्डे मैं अपने एक रिश्तेदार के घर गया था, बात चल रही थी इस्लाम में मर्दों को बड़ी छुट मिली है और औरतों पर बड़ा ज़ुल्म होता है वगैरह वगैरह .... मैंने उनसे कहा भाई, आप एक मुसलमान होकर ऐसी बात कर रहें है? उन्होंने कहा "जो सच है, वो सच है|" मैंने कहा "नहीं भाई, सच ये नहीं है, आपको कम-अज़-कम पूरी बात जान लेना चाहिए तब ही इल्ज़ाम लगाना चाहिए, इस्लाम तो पूरी दुनिया के लिए मुक्ति का पैगाम और समाज के लिए सही ढंग से जीने का तरीका ही बताता है" उन्हें तैश आ गया और उन्होंने कहा "सलीम, तुम बहुत ज़्यादा जानकार समझते हो, एक बात बताओ अगर इस्लाम में एक मर्द को एक से अधिक बीवी रखने की इजाज़त है तो इसकी क्या वजह है कि इस्लाम औरत को एक से ज़्यादा शौहर (पति) रखने कि इजाज़त नहीं देता है? उस वक़्त जो मैंने उन्हें बताया और उसके बाद इस बाबत कुछ किताबों का मुताला भी किया, का सारांश यहाँ पर पोस्ट कर रहा हूँ|  
इंशा अल्लाह मेरे उन रिश्तेदार की तरह आपको भी मुतमईन कर सकूँगा, इस आशा के साथ प्रस्तुत है कुछ तर्क और सत्य तथा इस्लामिक नियम | आप लोगो में से कुछ लोग, जिनमे मेरे उन रिश्तेदार की तरह मुसलमान भी शामिल हैं इस बात पर सवाल उठाते हैं कि इस्लाम मर्द को तो कई बीवी (पत्नी) रखने की छुट देता है लेकिन यह अधिकार औरत को नहीं देता है| सबसे पहले मैं आपको यह बताना चाहता हूँ और पूरे यकीन के साथ बताना चाहता हूँ कि इस्लाम न्याय और समानता से परिपूर्ण समाज की हिमायत करता है और इस्लामी समाज इसी (न्याय और समानता) पर आधारित है| ईश्वर/अल्लाह ने स्त्री और पुरुष दोनों को समानरूप से बनाया है लेकिन अलग अलग क्षमताएं और जिम्मेदारियां रक्खी हैं| स्त्री और पुरुष मानसिक और शारीरिक रूप से भिन्न हैं, और उनकी समाज और घर में रोल और जिम्मेदारियाँ अलग अलग हैं| स्त्री और पुरुष दोनों ही इस्लाम में समान हैं लेकिन एक जैसे नहीं| इस बात को तो ख़ैर आप भी जानते और मानते होंगे?  

अल-कुरान में ऐसी औरतों की सूचि दी है जिनसे आप विवाह नहीं कर सकते है| कुरान की सुरः निसा के अध्याय 4, आयत संख्या 22 से 24 में यह बात बताई गई है, इसी सुरः में अध्याय 4, आयात संख्या 24 में वर्णन है कि पहले से विवाहित स्त्रियों से विवाह करना वर्जित है| यहाँ क्लिक कर पढें

मैं कुछ बातें और बताना चाहता हूँ जिससे कि यह स्पष्ट हो जाये कि औरतों को एक ज़्यादा पति रखना क्यूँ जाएज़ नहीं है और वर्जित क्यूँ है ? 

1- अगर एक मर्द के पास एक से अधिक पत्नियाँ हों तो ऐसे विवाह से जन्मे बच्चे के माँ-बाप का पता आसानी से लग सकता है लेकिन वहीँ अगर एक औरत के पास एक से ज़्यादा पति हों तो केवल माँ का पता चलेगा न कि बाप का | इस्लाम माँ-बाप की पहचान को बहुत ज़्यादा महत्त्व देता है | मनोचिकित्सक कहते है कि ऐसे बच्चे मानसिक आघात और पागलपन के शिकार हो जाते है जो जो अपने माँ-बाप विशेष कर अपने बाप का नाम नहीं जानते| अक्सर उनका बचपन ख़ुशी से खली होता है| इसी कारण तवायफों (वेश्याओं) के बच्चो का बचपन स्वस्थ नहीं होता| यदि ऐसे विवाह से जन्मे बच्चे का किसी स्कूल में अड्मिशन कराया जाय और उसकी माँ से उस बच्चे के बाप का नाम पूछा जाय तो माँ को दो या उससे अधिक नाम बताने पड़ेंगे|  
2- मर्दों में कुदरती तौर पर औरतों के मुकाबले बहु विवाह कि कषमता ज़्यादा होती है|  
3- बायोलोजी के अनुसार एक से ज़्यादा बीवी रखने वाले पुरुष एक पति के रूप में अपने कर्तव्यों का निर्वाह करना आसान होता है जबकि उसी जगह पर अनेक शौहर रखने वाली औरत के लिए एक पत्नी के रूप में अपने कर्तव्यों का निर्वाह करना संभव नहीं है| विशेषकर मासिकधर्म के समय जबकि एक स्त्री तीव्र मानसिक और व्यावहारिक परिवर्तन से गुज़रती है |  
4- एक से ज़्यादा पति वाली औरत के एक ही समय में कई यौन साझी होंगे जिसकी वजह से उनमे यौन सम्बन्धी रोगों में ग्रस्त होने की आशंका अधिक होंगी और यह रोग उसके पति को भी लग सकता है चाहे उसके सभी पति उस स्त्री के अन्य किसी स्त्री के साथ यौन समंध से मुक्त हों | यह स्थिति कई पत्नियाँ रखने वाले पुरुष के साथ घटित नहीं होती है |  

और भी बहुत से कारण है इंशा अल्लाह वक़्त मिला तो उन्हें भी छापूंगा जिससे ये आसानी से समझा जा सके कि क्यूँ इस्लाम औरत को एक से ज़्यादा शौहर (पति) रखने कि इजाज़त नहीं देता है? इसके अलावा अन्य बहुत से कारण हो सकते हैं तभी तो परमपिता परमेश्वर/अल्लाह ने स्त्रियों के लिए एक से ज़्यादा पति रखने को पुर्ताया वर्जित कर दिया |

Comments

  1. अच्छा लिखा है,आपके लेखन का आधार बेहद सुद्रण है,इसी तरह लिखते रहिये!

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  2. क्या कहूं की आपने क्या लिखा है
    बस यही लग रहा है की आप भी व्योम जी के बनाये रास्तों पर जाने की कोशिश कर रहे है
    संभालना कही दिक्कत न हो जाये,अभी लेखन के मामले मे भी बच्चे लगते हो

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  3. आप ने मेरी जिज्ञाषा का अंत कर दिया पर कई
    जिज्ञाषा को बढादिया

    जैसे की यदी कल बच्चो की लडाई हो जाये तो
    फोन पर कुछ इस प्रकार के समाचार मिलेंगे
    सुनते हो गर में बबाल हो गया है
    तुम्हारे बच्चे मेरे बच्चे मिलकर हमारे बच्चो
    को परेशान कर
    रहे है

    औए कल मैं शोचो की मारी बीबी के कितने पाही है
    लोग तो कहंगे की तू कितना भगवान् है की तेरे को
    बड़े बोओस की बीबी मिली है या अब तो काम बाली बाई भे
    तेरी बी बी है
    इस पारकर के कई सवाल आते है दिल में
    एक सवाल क्या ये दर्द वास्तव में हिन्दुस्तान का है ............
    जरुर बताइयेगा

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  4. मुद्दा इतना नया भी तो नहीं है
    ठीक ही लिखा

    ReplyDelete
  5. अग्निहोत्री जी, सबसे पहले तो धन्यवाद टिप्पडी के लिए |

    आपने लिखा कि मैं भी व्योम जी के रास्ते पर जा रहा हूँ, नहीं ऐसी बात बिलकुल भी नहीं है और अगर आपको लगता है कि लेखन के क्षेत्र में उतरने वाले जूनियर पर आप लोग इसी तरह प्रोत्साहन के बजाये रैंगिंग करते रहेंगे तो यह अच्छी बात नहीं है |

    मैं कुछ अपने बारे में बताता चलूँ कि मैं स्वच्छ सन्देश: हिन्दोस्तान कि आवाज़ नामक ब्लॉग पर इस्लाम और हिन्दुज़्म की यक़्सानियत (समानताये) और इस्लाम के बारे जो ग़लतफ़हमी है उसे दूर करने का मकसद लेकर लिखता हूँ | इसका मतलब ये बिलकुल नहीं लेना चाहिए की मैं रुढिवादी (जैसा कि कुछ लोग कहते है) या ........वादी हूँ, मैं, सलीम खान एक भारतीय मुसलमान हूँ और एक राष्ट्रवादी विचारधारा (वो नहीं जो वो लोग इस्तेमाल करते है, जो वाकई साम्रदायिक हैं) लिए हुए रुढिवादी हूँ|

    मेरा मानना है कि हम और आप सभी एक है और एक ही रहने चाहिए और जो मैं मानता हूँ वो मैं नहीं कह रहा, हमारी किताबे कह रहीं हैं और यही हिन्दोस्तान की आवाज़ है और हमारे हिन्दुस्तान के दर्द का स्वच्छ सन्देश | जिनको हम मानते हैं और मान कर उसके बताये रास्तों पर चलते हैं | मैं जो भी लेख लिखता हूँ वो राष्ट्र के सबसे बड़े ज़हीन इंसान की लिखी किताबों से प्रेरित होती है और जो हमारे वेदों और कुरान में बताया भी गया है|

    रही बात बच्चे होने कि तो यह बात आपकी सौ प्रतिशत सही है मैं अभी बच्चा हूँ, लेकिन अभी बच्चा हूँ, ज़ाहिर सी बात है बच्चा बाद में बड़ा होता है | निश्चित रूप से एक दिन मैं भी जवान हो जाऊंगा | तब मैं अपने आपको जवान और उन्हें जो मुझे बच्चा कहते थे/है को बुढा कहूँगा | आप समझ रहें है ना !!!?????

    ज्यादा तो नहीं हुआ, ख़ैर अब हो गया तो हो जाने दो!

    कुल मिला कर आप वेदों को पढना शुरू कर दें, ईश्वर की आप पर दया हो!!!!!

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  6. अम्बरीश मिश्र जी, धन्यवाद आपकी टिपण्णी के लिए |

    आपसे एक बात कहना चाहूँगा कि यह हिन्दुस्तान का ही नहीं, पुरे विश्व और मानव जाति का दर्द है| महसूस करके तो देखें | यह एक ऐसा मुद्दा है जिन्हें अक्सर औरतें मर्दों से पूछती हैं ..... और मर्द उनका माकूल जवाब नहीं दे पाते| उनके सवाल के जवाब हेतु ये छोटा सा प्रयास है|

    वैसे आपने ये अच्छा लिखा "जैसे की यदि कल बच्चो की लडाई हो जाये तो.........."

    आपका और आप सभी का आशीर्वाद और साथ रहा तो मैं हिंदुस्तान के दर्द की नब्ज़ एक ना एक दिन ज़रूर समझ लूँगा और उसकी दवा भी |

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  7. हमने तो कही भी ऐसी बायोलोजी नहीं पढ़ी....न ही ऐसा को मनोचिक्त्सक लेख....न ही ऐसे यौन रोग ....

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  8. This comment has been removed by the author.

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  9. डॉक्टर साहब !

    कैसे है आप? आपको धन्यवाद टिपण्णी करने के लिए....

    आप बहुत पुराने ब्लोगर हैं, डॉक्टर हैं तो ज़ाहिर है उम्र में भी मुझसे बड़े ही होंगे | आप ने लिखा कि आपने ऐसा नहीं पढ़ा, लेकिन मैं यकीन के साथ कह सकता हूँ आपने वो सब ज़रूर पढ़ा या देखा होगा जो POLYANDRY टाइप का होगा, इसीलिए आपको समझ नहीं आया होगा, मैं इंशा अल्लाह वो बयोलोगी ज़रूर बताऊंगा और मनोचिकित्सा भी |

    मैंने आपकी प्रोफाइल पढ़ी उसमें लिखा था----

    //"जिंदगी का कोई नियम नही...... बस जो अच्छा लगा दिल मे रख लिया....."//

    एक डॉक्टर होकर आप ऐसा कैसे कह सकते है कि ज़िन्दगी का कोई नियम नहीं होता है? बिना नियम बिना कानून और बिना उसूल से तो सब कुछ धरम-भरम हो जायेगा| आपने आगे लिखा है बस जो अच्छा लगा दिल में रख लिया-- आपका ये बात ठीक सी ही है मगर जनाब हो सकता है कि दिल को जो अच्छा लगे वो सही ना हो या जो दिल को अच्छा नहीं लगे वो सही हो तब क्या होगा....? जवाब दीजिये...???

    मैं इंशा अल्लाह वो बयोलोगी ज़रूर बताऊंगा और मनोचिकित्सा भी ......!!!??? इंतज़ार कीजिये...

    जय हिन्दोस्तान, जय यंगिस्तान....

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  10. ये सन्देश स्वच्छता के साथ, साफ़ मन से उनके लिए जो इस बात का विरोध करते है कि बहु-विवाह गलत नहीं है, औरत के लिए.....

    जनाब! उनको उनका रास्ता मुबारक और हमको हमारा रास्ता, अगर उन्हें ये लगता है कि औरत भी बहु विवाह कर सकती है तो अपने घर, मोहल्ले और शहर में इसको बढावा दे सकते है | हम हिन्दोस्तानियों में इतनी हिम्मत नहीं, और हाँ! वे शुरू अपने घर से ही कर दें तो क्या बुरा है, क्यूँ सही है ना..........

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  11. सलीम जी के लेख बेहद प्रभावशाली है,अच्छा लेखन कर रहे है आप
    बधाई हो

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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

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