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जवानी(अवधी)

चढी जवानी झटका मारय
हिले लागे खूंटा॥
खड़ी अकेली करी ishaaraa ॥
आवा पानी म डूबा॥
पोर पोर म रस भर आवा॥
देहिया ले अंगडाई॥
अबतो उड़े का भागे manwaa॥
बतिया केसे बतायी॥
खडा खडा मुह ताकत बाटेया॥
कैसे कही की हमका लूटा॥
हसी हसी म लार टपके॥
अंखिया भाई बेहाल॥
केहू आय के पकड़ के हमका॥
जम के करत हलाल॥
चढत उमारिया के अन्दर अन्दर॥
लागत जैसे सोता फूटा॥
चढी जवानी झटका मारय
हिले लागे खूंटा॥

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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

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ग़ज़ल

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