जितना दूर जाता हूँ ,
उतना पास पाता हूँ।
तेरे बिन क्या होता है,
तुमको आज बताता हूँ।
तेरे गीतों की सरगम ,
मन-वीणा पर गाता हूँ।
कलछा चिमटे चकले पर ,
सुर लय ताल मिलाता हूँ।
तुम्हें भुलाना चाहूँ तो,
यादों में उतराता हूँ।
गज़लें लिखना चाहूँ तो ,
काफिया भूल जाता हूँ।
तुम भी करते होगे याद,
ख़ुद पर ही इतराता हूँ।
अबतो आही जाओ 'श्याम,
वरना मैं आजाता हूँ॥
उतना पास पाता हूँ।
तेरे बिन क्या होता है,
तुमको आज बताता हूँ।
तेरे गीतों की सरगम ,
मन-वीणा पर गाता हूँ।
कलछा चिमटे चकले पर ,
सुर लय ताल मिलाता हूँ।
तुम्हें भुलाना चाहूँ तो,
यादों में उतराता हूँ।
गज़लें लिखना चाहूँ तो ,
काफिया भूल जाता हूँ।
तुम भी करते होगे याद,
ख़ुद पर ही इतराता हूँ।
अबतो आही जाओ 'श्याम,
वरना मैं आजाता हूँ॥
Shaandaar gazal.
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }