आप आए दिल के आशियाने में
क्या कहें क्या ना हुआ ज़माने में
बात जो थी बस लवों तक आपके
होगई है बयाँ हर फ़साने में ।
हम चलें उस आसमान के छोर तक,
छोड़ना पङता है कुछ ,कुछ पाने में।
प्रीति का यह चलन कब भाया किसे,
कब कसर छोडेंगे ,ज़ुल्म ढाने में ।
इश्क फूलों का चमन ही तो नहीं,
राह काँटों की है हर ज़माने में।
ज़िंदगी हो गुले-गुलशन कब मज़ा,
जो मज़ा काँटों में गुनगुनाने में।
बात अपनी बने या ना बने श्याम,
ना कसर रह जाय आज़माने में॥
क्या कहें क्या ना हुआ ज़माने में
बात जो थी बस लवों तक आपके
होगई है बयाँ हर फ़साने में ।
हम चलें उस आसमान के छोर तक,
छोड़ना पङता है कुछ ,कुछ पाने में।
प्रीति का यह चलन कब भाया किसे,
कब कसर छोडेंगे ,ज़ुल्म ढाने में ।
इश्क फूलों का चमन ही तो नहीं,
राह काँटों की है हर ज़माने में।
ज़िंदगी हो गुले-गुलशन कब मज़ा,
जो मज़ा काँटों में गुनगुनाने में।
बात अपनी बने या ना बने श्याम,
ना कसर रह जाय आज़माने में॥
bahut...sunder...badhai ho shyam ji....
ReplyDeletedhanyvaad aleem ji aapko gazal pasand aaee.
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