Skip to main content

ना नशा करो ना वार करो !


ये स्वच्छ सन्देश है

सारे हिन्दोस्तानियों का, पूरी दुनियाँ के नाम

"no drugs, no war"


ना नशा करो ना वार करो
करना है अगर तो प्यार करो
मुश्किल से मिलता है जीवन
क्या तुमको नहीं पता.....

कर लो तौबा सौ सौ बार
कहते फिरोगे वरना यार

टुकड़े टुकड़े हो गया देश, टुकड़े टुकड़े हो गया,
टुकड़े टुकड़े हो गया देश, टुकड़े टुकड़े हो गया |



द्वारा:
सलीम खान
स्वच्छ सन्देश: हिन्दोस्तान की आवाज़
लखनऊ, उत्तर प्रदेश

(यह सन्देश "स्वच्छ सन्देश: हिन्दोस्तान की आवाज़" नमक ब्लॉग द्वारा जनहित में जारी )

Comments

  1. काश! ऐसा हो पाता....... ना ही कोई नशा करता और ना ही कोई लडाई होती | कल्पना कीजिये....कैसा होगा वह ज़मान जब ऐसा हो जायेगा|

    ReplyDelete
  2. सन्देश सार्थक हो, लोगों को सद्बुदबुद्धि आये। बहुत-बहुत आभार....

    ReplyDelete
  3. सलीम जी अच्छा सन्देश लोगों तक पहुँचाया है
    बहुत खूब

    ReplyDelete
  4. लोगों को आपका शुभ सन्देश मिले यही कामना है

    ReplyDelete
  5. अच्छी सोच है आपकी सबको अपनाना चाहिए

    ReplyDelete

Post a Comment

आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

Popular posts from this blog

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा

डॉ.प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी के अनन्य वक्ता थे -केदारनाथ सिंह

डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...