बात इस देश की है हमारी या आपकी नही । माफ़ करेंगे , लेकिन मैं तो बोलूँगा .... जब इस देश में राज ठाकरे , अरुंधती रोय ,यहाँ तक कि अफजल गुरु को भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है तो मुझे क्यों नही !! लोग खुलेआमं देश के विरोध काम करते हैं !मुझे अफ़सोस है, इस देश में हमेशा से दलित और मुस्लिम की राजनीति गैर दलितों और गैर मुस्लिमो द्वारा की जाती रही है । हमें भारतीयों की बात करनी चाहिए । क्या भारतीयों में मुस्लमान नही आते ?संजय जी ! हम सभी धर्मनिरपेक्षता की बात करते हैं । क्या सेकुलरिस्म का मतलब हिंदू विरोध और इस्लाम का गुणगान है ? नही , हमें धर्म से दूर हर एक भारतीय की बात करनी होगी । लेकिन क्या ऐसा हो रहा है ? नही ! तथाकथित सेकुलर लोग इमाम से वोट की मदद मांगते हैं लेकिन वो सेकुलर हैं!एक केन्द्रीय विश्विद्यालय में म.फ हुसैन के नाम पर आर्ट गैलरी बनाई जाती है ,वो भी सेकुलर हैं!अरे , अगर वाकई सेकुलर हैं तो जरा एक बिल्डिंग सलमान रुश्दी के नाम पर भी बना देते !किसी गेट का नाम तसलीमा नसरीन के नम पर रखा होता ! लेकिन नही यहाँ तो बस विरोध के लिए विरोध की राजनीति हो रही है । हम सब इसके भागीदार हैं । जहाँ हमें वर्ल्ड पॉलिटिक्स को देखना चाहिए पर हम तो प्रान्त , भाषा , जाती और धर्म की राजनीति में उलझे हैं । आपने कहा की सल्लीम जी का आलेख ज्ञानवर्धक रहा तो मुझे पुनः कहना पड़ रहा है कि वहां भी सर्वोपरि साबित होने की बू आती है । वैसे भी धर्म से इस देश का भला नही होने वाला है ....एक अनुमान के अनुसार हमारे भारतीयों का १५०० अरब डॉलर स्विस बैंक में पड़ा हुआ है , जिसे अगर हर एकमें बाँट दिया जाए तो सबको लाख -लाख रूपये मिलेंगे ... हमारे किसी संत ने कहा है -" भूखे भजन न होई गोपाला , ले लो अपना कंठी माला" । अंत में आप सब से अनुरोध अपनी बुद्धिमत्ता का परिचय देते हुए इसे धर्म प्रचार का मंच होने से बचाएं ताकि देश का ही नही विश्व का कल्याण हो सके ..................
केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..
देखिये जयराम जी आपकी बात से संतुस्ट हूँ की इस मंच को धर्म का मंच बनने से बचाया जाना चाहिए लेकिन यह हमारे लिए घातक सी बात नहीं है क्योंकि धर्म के नाम पर शुद्ध बहस होना गलत नहीं है लेकिन आपकी बातों से लग रहा है की आप शुद्ध बहस भी नहीं चाहते !
ReplyDeleteआप को समझना होगा की यह मंच देश और समाज के लिए बनाया गया है जो अपने उद्देश्य से बिलकुल भी नहीं भटका है !
और अगर ऐसा होता है तो इसको थामना आपका काम है,क्योंकि आप भी एक जागरूख नागरिक है !आप ने जिस तरह से अपनी बात राखी ख़ुशी हुई !
आप बोल रहे है मतलब अच्छा क्योंकि आप जिंदा है
ReplyDeleteखतरा उनसे होता है जो जिंदा होकर भी मरे है यानी चुप है,आप बस कहते जाइए
लगता है आप इस मंच की काबिलियत को जानते नहीं या भूलते जा रहे है
ReplyDeleteआप देख रहे है की यहाँ कितने अच्छे मुद्दों पर बात होती है,अभी हाल ही में संजय जी की प्रकाशित पोस्ट पढिये
आप अच्छा देखिये बुरी चीज़ को छोड़ दीजिये
शायद आपको कोई ग़लतफ़हमी हुई है दोस्त
ReplyDeleteइस मंच को इस तरह से नकारा नहीं जाना चाहिए
.........well, ved ke saath saath quraan ka bhi adhyayan karen, bahut si similarities milengi
ReplyDeletesanjay ji sahmat hone ke liye shukriya . kam se kam aap samajh gaye jo main kahna chahta tha .......... bilkul main hamesha is manch ko sahi disha me le jane ki har sambhaw prayatn karunga ..........................jai hind
ReplyDeletemain to apni baat isi tarah bagair kisi purwagrah ke aur dar ke rakhne ka aadi hoon ...
ReplyDeleteek bar fir kahunga blogging ki duniya me wad-wiwad ki jagah sarthak samwad ki honi chahiye ...........
ReplyDelete