सलीम जी यह आपका नहीं हमारा सौभाग्य है की आप हमसे इस तरह जुड़े की जुड़ते ही चले गए ! आपका सहयोग हमारे लिए जरुरी है और ४०० का आकंडा आपकी पोस्ट से छुआ है तो आगे भी सब ठीक ठाक होता ही रहेगा ! आपको भी बधाई हो!!
मैंने जनवरी 2009 में ही ब्लॉग में लिखना शुरू किया था | इससे पहले मैंने अपनी वेबसाइट भी बनाई मगर असली संतुष्टि तो मुझे हिंदुस्तान के दर्द पर आकर मिली | ब्लॉग एक ऐसी जगह हैं जहाँ आप अपनी बात बिना झिझक के कह सकते है और बिना किसी खास बंधन के | मैंने अपने जीवन में अभी तक ज्यादा समय पढने में बिताया, यहाँ आकर मुझे लगा कि मैं उन सब जानकारियों को ब्लॉग के माध्यम से आसानी से अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचा सकता हूँ|
हिंदुस्तान के दर्द पर मैं जनवरी से लगभग नियमित रूप से पोस्ट कर रहा हूँ| आज देखा यह 400 के करीब पहुँचने वाला है तो आज सुबह ही मैंने सोच लिया कि ४००वां पोस्ट तो मैं ही करूँगा|
हिंदुस्तान के दर्द और अपनी तरफ से आप सबको ४००वां पोस्ट प्रकाशित हो चुकने की बढ़ाई |
सलीम खान स्वच्छ सन्देश लखनऊ व पीलीभीत, उत्तर प्रदेश
डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...
गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा
सलीम जी यह आपका नहीं हमारा सौभाग्य है की आप हमसे इस तरह जुड़े की जुड़ते ही चले गए !
ReplyDeleteआपका सहयोग हमारे लिए जरुरी है और ४०० का आकंडा आपकी पोस्ट से छुआ है तो आगे भी सब ठीक ठाक होता ही रहेगा !
आपको भी बधाई हो!!
मैंने जनवरी 2009 में ही ब्लॉग में लिखना शुरू किया था | इससे पहले मैंने अपनी वेबसाइट भी बनाई मगर असली संतुष्टि तो मुझे हिंदुस्तान के दर्द पर आकर मिली | ब्लॉग एक ऐसी जगह हैं जहाँ आप अपनी बात बिना झिझक के कह सकते है और बिना किसी खास बंधन के | मैंने अपने जीवन में अभी तक ज्यादा समय पढने में बिताया, यहाँ आकर मुझे लगा कि मैं उन सब जानकारियों को ब्लॉग के माध्यम से आसानी से अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचा सकता हूँ|
ReplyDeleteहिंदुस्तान के दर्द पर मैं जनवरी से लगभग नियमित रूप से पोस्ट कर रहा हूँ| आज देखा यह 400 के करीब पहुँचने वाला है तो आज सुबह ही मैंने सोच लिया कि ४००वां पोस्ट तो मैं ही करूँगा|
हिंदुस्तान के दर्द और अपनी तरफ से आप सबको ४००वां पोस्ट प्रकाशित हो चुकने की बढ़ाई |
सलीम खान
स्वच्छ सन्देश
लखनऊ व पीलीभीत, उत्तर प्रदेश
मुझे फिर से वही शेर गुनगुनाने का मन कर रहा है
ReplyDeleteमैं अकेला ही चला था जानिबे मंजिल
लोग आते गए, कारवां बढ़ता गया
खैर!
आज मैं जा रहा अपने पैतृक गाँव पीलीभीत | गन्ने की बोवाई का आखिरी चरण चल रहा है |
इंशा अल्लाह आप सबसे अगली मुलाक़ात मोस्ट प्रोबेब्ली मंगल को होगी |
आपका
सलीम खान
स्वच्छ सन्देश: हिन्दोस्तान की आवाज़
लखनऊ व पीलीभीत
उत्तर प्रदेश