Skip to main content

विनोद बिस्सा जी की कविता ''असमंजस विनाशकारी''

इस कड़ी में अब हम जो कविता प्रकाशित कर है उसे अपने शब्दों से सजाया है विनोद बिस्सा जी ने ,विनोद जी की इस कविता ने शीर्ष पाँच में तीसरा स्थान प्राप्त किया है ! हम विनोद की को बहुत बहुत बधाई देते है और उनके उज्जवल भविष्य की कामना करते है ,आप लोगों से आग्रह है की उनकी इस कविता पर अपनी राय के रूप में समीक्षा भेजें !





असमंजस विनाशकारी


प्रतिक्षण समय
भाग रहा
इस बात से
बेखबर
किस पथ
जाऊं मैं
पथिक
खड़ा सोच रहा
हर पलबे-फिकर
नहीं समझ
पा रहा वह
क्या उसने उचित
यह पथ चुना ?
जिस पथ को
वह ताके
सुख दुख
दोनो खड़े दिखें
दोराहे पर खड़ा
वह विस्मित
पूरा समय
युं ही खो दे
असमंजस विनाशकारी
ये बात
वह नहीं समझ रहा
हर पल
खोजने में सही पथ
पूरी ताकत झोंक रहा
॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ विनोद बिस्सा




आगे पढ़ें के आगे यहाँ

Comments

  1. विनोद जी आपको बधाई हो !
    तकनीकी समस्या की वजह से आपकी कविता को दुसरे ब्लॉग पर भेजना पड़ा !!माफ़ी चाहते हैं!

    ReplyDelete
  2. विनोद ji आपको बधाई .......बहुत अच्छा लिखा है आपने

    ReplyDelete
  3. बेहद अच्छा प्रयास विनोद की,मजा आया !

    ReplyDelete
  4. बधाई हो विनोद जी,संजय जी सच कह रहे है सभी आप तारीफ यौग्य हो

    ReplyDelete
  5. ''असमंजस विनाशकारी''उम्दा लेखन का परिचय दिया आपने
    बहुत अच्छी कविता,प्रयास भी सराहनीय रहा !

    ReplyDelete
  6. asmanjas hota hi vinashkari hai aur yeh aapne apni kaita ke jariye bahut achche dhang se kaha hai....badhyi ho.

    ReplyDelete
  7. बेहद सुन्दर अभिव्यक्ति...इतने प्यारे लेखन के लिए बधाई स्वीकारें
    जय जिनेन्द्र !

    ReplyDelete
  8. धन्यवाद संजय जी मैं आपका बहुत आभारी हूं ॰॰॰॰॰॰॰॰

    ReplyDelete
  9. अनुराधा जी, वंदेमातरम जी, कास्मिक जी, बुलबुल राजपूत जी, सोनिया जी, वंदना जी, निलेश जी एवं संतोष जी

    आप सभी का मैं तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूं ॰॰ आप सब की हौसला अफजाई निश्चित तौर पर मुझे और अच्छा लेखन को प्रेरित करेगी ॰॰॰॰॰॰ शुभकामनायें ॰॰॰॰॰॰॰

    ReplyDelete
  10. अच्छी नज्म है खूबसूरती दिखी!
    मुझे काफी पसंद आई

    ReplyDelete
  11. prti kshn samay bhaag raha is baat se bekhabr ke kis path jaau me ?
    bahoot ache sir..

    ReplyDelete
  12. bahoot khoob sir..
    prti skhan samy bhaag raha he,
    is baat se be khabar
    panth kon si jaau me..
    [:)]

    ReplyDelete

Post a Comment

आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

Popular posts from this blog

डॉ.प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी के अनन्य वक्ता थे -केदारनाथ सिंह

डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा