इस कड़ी में अब हम जो कविता प्रकाशित कर है उसे अपने शब्दों से सजाया है विनोद बिस्सा जी ने ,विनोद जी की इस कविता ने शीर्ष पाँच में तीसरा स्थान प्राप्त किया है ! हम विनोद की को बहुत बहुत बधाई देते है और उनके उज्जवल भविष्य की कामना करते है ,आप लोगों से आग्रह है की उनकी इस कविता पर अपनी राय के रूप में समीक्षा भेजें !
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असमंजस विनाशकारी
प्रतिक्षण समय
भाग रहा
इस बात से
बेखबर
किस पथ
जाऊं मैं
पथिक
खड़ा सोच रहा
हर पलबे-फिकर
नहीं समझ
पा रहा वह
क्या उसने उचित
यह पथ चुना ?
जिस पथ को
वह ताके
सुख दुख
दोनो खड़े दिखें
दोराहे पर खड़ा
वह विस्मित
पूरा समय
युं ही खो दे
असमंजस विनाशकारी
ये बात
वह नहीं समझ रहा
हर पल
खोजने में सही पथ
पूरी ताकत झोंक रहा
॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ विनोद बिस्सा
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विनोद जी आपको बधाई हो !
ReplyDeleteतकनीकी समस्या की वजह से आपकी कविता को दुसरे ब्लॉग पर भेजना पड़ा !!माफ़ी चाहते हैं!
विनोद ji आपको बधाई .......बहुत अच्छा लिखा है आपने
ReplyDeleteबेहद अच्छा प्रयास विनोद की,मजा आया !
ReplyDeleteबधाई हो विनोद जी,संजय जी सच कह रहे है सभी आप तारीफ यौग्य हो
ReplyDelete''असमंजस विनाशकारी''उम्दा लेखन का परिचय दिया आपने
ReplyDeleteबहुत अच्छी कविता,प्रयास भी सराहनीय रहा !
अच्छी रचना !
ReplyDeleteasmanjas hota hi vinashkari hai aur yeh aapne apni kaita ke jariye bahut achche dhang se kaha hai....badhyi ho.
ReplyDeletetauji bahut achi kavita he mast
ReplyDeleteबेहद सुन्दर अभिव्यक्ति...इतने प्यारे लेखन के लिए बधाई स्वीकारें
ReplyDeleteजय जिनेन्द्र !
धन्यवाद संजय जी मैं आपका बहुत आभारी हूं ॰॰॰॰॰॰॰॰
ReplyDeleteअनुराधा जी, वंदेमातरम जी, कास्मिक जी, बुलबुल राजपूत जी, सोनिया जी, वंदना जी, निलेश जी एवं संतोष जी
ReplyDeleteआप सभी का मैं तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूं ॰॰ आप सब की हौसला अफजाई निश्चित तौर पर मुझे और अच्छा लेखन को प्रेरित करेगी ॰॰॰॰॰॰ शुभकामनायें ॰॰॰॰॰॰॰
अच्छी नज्म है खूबसूरती दिखी!
ReplyDeleteमुझे काफी पसंद आई
prti kshn samay bhaag raha is baat se bekhabr ke kis path jaau me ?
ReplyDeletebahoot ache sir..
bahoot khoob sir..
ReplyDeleteprti skhan samy bhaag raha he,
is baat se be khabar
panth kon si jaau me..
[:)]
achchhi rchna ...badhai ...vinod ..sir
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