Skip to main content

यकीन मानें,गजनी की सफलता से आमिर डरे!

आमिर खान के मन में एक डर पैदा हो गया है। गजनी फिल्म अबतक 200 करोड़ की कमाई कर चुकी है। छोटे बड़े सभी शहरों में फिल्म हिट है। गजनी की कामयाबी का आमिर ने जश्न तो मनाया, लेकिन उन्होंने माना कि अब उन पर इस सफलता को दोहराने का दबाव बन गया है।
हमेशा पार्टियों से दूर रहने वाले आमिर अब पूरी तरह पार्टियों में डूब गए हैं। वो गजनी की सफलता का पूरा मजा ले रहे हैं। दो हफ्ते में फिल्म ने 200 करोड़ का रिकॉर्ड तोड़ बिजनेस किया। इस शानदार कामयाबी का जश्न मनाने के लिए गजनी की पूरी यूनिट जुटी। आमिर ने केक काटकर जश्न तो मनाया, लेकिन वो कुछ डरे हुए भी हैं। गजनी ने आमिर को डरा दिया है। उनके मन में डर बैठ गया है कि अगर उनकी अगली फिल्म 'थ्री इडियट्स' हिट नहीं हुई तो क्या होगा।
गौरतलब है कि गजनी तमिल फिल्म का रिमेक है। जब आमिर ने ये फिल्म देखी तो वो निर्देशक ए आर मुरुगदौस के निर्देशन के कायल हो गए। लेकिन वो इस फिल्म को नहीं करना चाहते थे। आमिर को लगा कि ऐसी एक्शन फिल्म फिल्म शाहरुख, सलमान या अक्षय कुमार जैसे हीरो ही कर सकते हैं। लेकिन बाद में वो एक्शन रोल के लायक बॉडी बनाने के लिए तैयार हो गए।
गजनी फ़िल्म की सफलता ने आमिर खान को एक नया नाम मार्केटिंग गुरु दिया है। आमिर खान अब इस मार्केटिंग की इमेज को जमकर भुना भी रहे है फ़िल्म के 200 करोड़ कमा लेने के बावजूद आमिर खान फ़िल्म को प्रमोट करने के नए-नए फंडे निकाल रहे हैं। गजनी को प्रमोट करने के लिए वो दूसरों के बाल तक काटते नजर आए।
वहीं गजनी की सक्सेस पार्टी में उन्होंने तमाम सिनेमा हॉल मालिकों को गोल्डन ट्रॉफी से सम्मानित किया। इस पार्टी में खास तौर से छोटे शहरों के थिएटर मालिकों को बुलाया गया था। छोटे शहरों में अमूमन फिल्में रिलीज होने के काफी दिन बाद आती हैं। लेकिन खास रणनीति के तहत गजनी के रिकॉर्ड 1200 प्रिंट तैयार किए गए और छोटे शहरों के सिनेमा हॉल में भी फिल्म को रिलीज किया गया। चंद हजार की कमाई करने वाले ये थियेटर लाखों की कमाई कर रहे हैं।

Comments

  1. सच अर्श पर पहुँचने के बाद फर्श पर गिरने का डर हमेशा ही बना रहता है आमिर भी इसी मानसिकता का सिखार हो गए है !!

    ReplyDelete

Post a Comment

आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

Popular posts from this blog

डॉ.प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी के अनन्य वक्ता थे -केदारनाथ सिंह

डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा