Skip to main content

मां के मरने के 48 घंटे बाद पैदा हुई बच्ची

लंदन। ब्रिटेन में डॉक्टरों ने एक ऐसा करिश्मा कर दिखाया है जिस पर यकायक विश्वास नहीं होता। ब्रिटिश डॉक्टरों ने मस्तिष्काघात के कारण मृत हुई गर्भवती महिला के पेट से दो दिनों बाद बच्ची का जन्म कराने का हैरतभरा कारनामा पेश किया है। इस खबर की पुष्टि आक्सफोर्ड में एक अस्पताल ने मंगलवार को की।
मां जाइन सोलिमैन की हृदय गति तब तक चलती रही, जब तक कि उसके पेट में पल रही बच्ची आया जाइन को शुक्रवार को आक्सफोर्ड के जॉन रेडक्लिफ अस्पताल में ऑपरेशन के जरिए बाहर नहीं निकाल लिया गया।
डॉक्टरों के अनुसार सोलिमैन की मस्तिष्काघात के कारण मौत हो गई थी। उसके पेट में पल रहे बच्चे के 48 घंटे के भीतर जन्म के लिए उसे स्टीरायड्स की भारी खुराक दी गई थी।
इस तरह की घटना विरले देखने को मिलते हैं लेकिन यह कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले स्पेन में 1999 में इसी तरह चिकित्सीय रूप से मां की मौत होने के बाद डाक्टरों ने बच्चे के जन्म को संभव किया था।

Comments

  1. सब कुदरत का करिश्मा है और इसे क्या कहा जाए !!
    साथ ही साथ चिकित्सा में बड़ते दुनिया के कदमो का सहारा है !!

    ReplyDelete
  2. जब तक सांस, तब तक आस! इच्छा मृत्यु Mercy Killing इसी लिये अनैतिक अनुभव होती है। आज एक व्यक्ति कष्ट के चलते कह सकता है कि ऐसी ज़िंदगी से तो मौत अच्छी! पर कष्ट तो कल दूर हो जायेगा, पर ज़िंदगी वा्पिस नहीं मिलेगी।

    ReplyDelete

Post a Comment

आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

Popular posts from this blog

डॉ.प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी के अनन्य वक्ता थे -केदारनाथ सिंह

डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा