सारांश यहाँ आगे पढ़ें के आगे यहाँ
कुछ दिनों से मुझको भी ||
यारो कुछ कुछ होने लगा ||
दिल मेरा भी खोने लगा ||
अपने दफ्तर की टेबल पर ||
मै भी अब तो सोने लगा ||
दिल मेरा भी खोने लगा ||
यारो कुछ कुछ होने लगा ||
दिल मेरा भी खोने लगा ||
अपने दफ्तर की टेबल पर ||
मै भी अब तो सोने लगा ||
दिल मेरा भी खोने लगा ||
रात हसीना एक आती है ||
सपनो में हमें जगाती है ||
हाथ पकड़ कर मेरा ओ ||
अपने साथ उड़ाती है ||
इश्क के चक्कर में पड़ कर मै ||
प्रेम बीज को बोने लगा ||
दिल मेरा भी खोने लगा ||
सपनो में हमें जगाती है ||
हाथ पकड़ कर मेरा ओ ||
अपने साथ उड़ाती है ||
इश्क के चक्कर में पड़ कर मै ||
प्रेम बीज को बोने लगा ||
दिल मेरा भी खोने लगा ||
अभी गाल में पड़े निशान है ||
उसने हंस के काटा था ||
मेरी भी चीख निकल गयी थी ||
कुछ करने के लिए आमादा था ||
प्रेम बाग़ में दोनों नाचे थे ||
उसके बिन अब रोने लगा ||
दिल मेरा भी खोने लगा ||
उसने हंस के काटा था ||
मेरी भी चीख निकल गयी थी ||
कुछ करने के लिए आमादा था ||
प्रेम बाग़ में दोनों नाचे थे ||
उसके बिन अब रोने लगा ||
दिल मेरा भी खोने लगा ||
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--- संजय सेन सागर