Skip to main content

शार्ट लव स्टोरी - स्कूटर नंबर 4466

वो चेहरे से बड़ा ही गुस्से वाला नजर आता था बात करने के मामले में भी एक दम शांत सा |लोगों को यकीन नहीं होता था की यह उनके कॉलेज के छात्र संगठन का अध्यक्ष है क्योंकि राजनीति करने वाले तो बेवजह भी बोलते रहते है जबकि यह जनाब तो जरूरत पर भी बहुत कम ही बोला करते थे| हाँ कॉलेज में किसी का काम नहीं रुक सकता था| हर काम के लिए,हर रुकावट के लिए सबसे पहले खड़े हो जाने की खूबी थी| उसके इतने सख्त रवैये से तो उसके दोस्त भी बेहद परेशान रहते थे| उन्हें लगता था की ना तो वो लड़कियों के चक्कर में पड़ता है,ना हमें पढ़ने देता है उसके दोस्तों के हिसाब से वो सबकी जवानी बर्बाद करवा रहा था,जबकि उसके लिए यह संस्कार और अपने उसूलों को ज़िंदा रखने वाली बात थी|  

कॉलेज का जब नया सत्र शुरू हुआ तो स्टूडेंट्स की भीड़ भाड़ के साथ ही अध्यक्ष साब का कम भी बढ़ गया था| कोई कहता सीट फुल है तो एडमिशन करा दो,किसी को फीस माफ़ करानी होती| कॉलेज के प्रिंसिपल से ज्यादा बंदोबस्त इन्हे ही करना होता था| इतने सख्त भावों वाला इंसान अंदर से वाकय इतना कठोर नहीं था यह उस दिन पता चला| जब एक रेस्ट्रो में अपनी फ्रेंड की बर्थडे पार्टी अटेंड करने आई एक लड़की को देखकर अध्यक्ष साब की नजरे बस उस पर थम गयी,वो लाल रंग के शूट में दुनिया की सबसे खूबसूरत लड़की लग रही थी और उसके मुस्कुराने और बात करने का तरीका किसी को भी दीवाना बना सकता था|  एक बार नजरें थमी तो तब हटी जब उसने जाने के लिए अपना स्कूटर स्टार्ट किया,जैसे ही स्कूटर आँखों से दूर होने लगा तो ऐसा लगा जैसे जिस्म का हिस्सा खुद से दूर होता जा रहा है,अगले सेकंड ऐसा लगता की क्या कर लूँ की यह लड़की खुद में समां जाएँ,वो लड़की तो चली गयी लेकिन आनन फानन में उस स्कूटर का नंबर दिमाग में नहीं पूरी तरह से रूह में,दिल में हर जगह बस गया| अध्यक्ष साब अपने इस पहली नजर के पहले प्यार के बारें में किसी को बता भी नहीं सकते थे,यह कॉलेज में उनके लिए घातक हो सकता था| ना उस लड़की को आसानी से ढूंढा जा सकता था,उस वक़्त शायद कुछ नहीं हो सकता था| सिवाय उस स्कूटर के नंबर को एटीएम कोड,पासवर्ड और अपना लकी नंबर बनाने के सिवा| अध्यक्ष साब की नजरें अब लड़कियों की भीड़ में उस लड़की को तलाश करने की कोशिश करती और अगर कोई लड़की चेहरा बांधे होती तो उसके स्कूटर के नंबर प्लेट पर नजरे ठहर जाती|  

कॉलेज कैंपस में भीड़ भाड़ थी कॉलेज लगने का वक़्त था तभी एक लाल रंग का स्कूटर तेजी से आया और सामने गाड़ी पर बैठे लड़के की गाड़ी से टकराया लड़का तो गाड़ी समेत जमीन पर गिर गया पर लड़की अब तक खुद को संभाले,बड़ी बड़ी हैरान आखों से देख रही थी|  उसे समझ ही नहीं आया की उसने क्या कर दिया ,वो उस लड़के के उठने से पहले ही सॉरी सॉरी का रट्टा लगा रही थी| वो लड़का उठा और खुद के कपडे साफ़ करते हुए बोला काहे मैडम गरीबों से इतनी नफरत है का,ज़िंदा ही कुचल रही हो ? उसके सॉरी बोलने के बाद भी वो उससे बहस कर रहा था| तभी अध्यक्ष साब को सामने आता देख वो लड़का बोला अब देखो तुम्हारा क्या हाल होता है हमारे अध्यक्ष साब आ रहे है ,अब तो जैसे उस लड़की का चेहरा डर से लाल हो गया| जब अध्यक्ष साब उनके करीब पहुंचे तो लड़का बोला देखिये भैया जी इन्होने हमें कितना चोटिल कर दिया,छात्र संगठन के मेंबर को चोटिल कर दिया|

अध्यक्ष साब की नजरे उसकी चोटों से पहले,उस लड़की की डर से भरी बड़ी बड़ी आँखों पर पड़ी|उसका चेहरा देखते ही अध्यक्ष साब को लगा जैसे कोई सपना देख रहे है यह तो वही लड़की थी जिसे वो कब से तलाश कर रहे थे बिल्कुल उतनी ही खूबसूरत  अध्यक्ष साब को यकीन नहीं हुआ तो पीछे घूमकर उसकी गाड़ी का नंबर देखा वहीँ नंबर पाकर उन्होंने कन्फर्म किया की हाँ यह वही है| उसका मखमली सा चेहरा डर से लाल हो रहा था और कितनी मासूमियत से वो अब तक सॉरी बोले जा रही थी| अध्यक्ष साब ने उस लड़के को फटकारते हुए कहा तुम साले कहीं भी गाड़ी खड़ी करके बैठ जाते हो,यह कोई पार्किंग की जगह है क्या? वो लड़का हैरानी से अध्यक्ष साब को देख रहा था और अध्यक्ष साब बस उस लड़की की आँखों में खोये हुए थे| एक काम करिए आप जाइए अध्यक्ष साब ने उस लड़की  को इशारा करते हुए कहा| उस लड़की का स्कूटर जब आगे बढ़ गया तब भी अध्यक्ष साब की नजरे उस की नंबर प्लेट पर अटकी हुई थी| वो लड़का अपनी चोटें दिखा रहा था मगर उसे क्या पता था की अध्यक्ष साब इश्क़ में उससे भी ज्यादा चोटिल हो गए थे|

वक़्त गुजरता गया और अध्यक्ष साब की दीवानगी और ज्यादा बढ़ती गयी मगर अब तक शायद यह सब इकतरफा ही था क्योंकि उस लड़की को इस बारे में कुछ पता ही नहीं था| यहाँ तक की अध्यक्ष साब ने उसका नाम पता करने तक की जहमत नहीं उठाई थी वो तो प्यार से दिल ही दिल में याद करते भी थे तो 4466 के नाम से| अब तक दोस्तों को प्यार के बारे में शक हो चुका था तो सब साफ़ साफ़ बताना पड़ा| दोस्तों ने सोचा अच्छा मौका है अध्यक्ष साब का काम बनवा दो फिर अपना भी रास्ता साफ़ है पूरी तरह से फील्डिंग जमाई गयी|  उसकी सहेली को जिम्मेदारी दी गयी की कल शाम को तुम्हे उसे लाना है,उसकी सहेली इतनी डरी हुई थी की उसने पहले ही कह दिया की कुछ भी हो तुझे ना नहीं करना है वरना वो हमें फेल करा देगा या कुछ और भी करा सकता है| उसकी सहेली ने हिदायत दी की प्यार ना सही फ्रेंडशिप तो कर ही लेना,आगे की आगे देख लेंगे|

अध्यक्ष साब की डरते,शरमाते सकुचाते फ्रेंडशिप हो गयी|पहले दिन में एक बार फिर दस बार और फिर तो पूरी रात रात बात होने लगी| अध्यक्ष साब ने जब उसे पहली बार देखने से लेकर उसकी हर एक चीज़ को लेकर खुद का प्यार बताया तो उसे यह अहसास हो गया की इससे अच्छा और खूबसूरत दिल वाला इंसान दुनिया में कोई नहीं हो सकता| जब उसने नोटिस किया तो उसे यह पता चला की अध्यक्ष साब का फ़ोन नंबर ,गाड़ी नंबर,पासवर्ड यहाँ तक की कॉलेज का रोल नंबर भी 4466 हो चुका था|







   

Comments

Popular posts from this blog

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा

डॉ.प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी के अनन्य वक्ता थे -केदारनाथ सिंह

डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...