मित्रों! आओ दीपावली पर स्वीकारो मेरी भी बधाई।
बधाई पूर्व करनी होगी, सत्कर्मो की तुम्हें कमाई।
प्रदूषण फैलाकर दीप जलाते, कैसी दीपावली है भाई?
पूजा नहीं, अनुसरण राम का, इसमें सबकी होगी भलाई।
सीता को वनवास मिले ना, पग-पग हो न परीक्षा भाई।
रावण का पुतला मत फूँकों, अन्तर्मन की करो सफाई।
सूपर्णखाँ की नाग कटे ना, शादी का अवसर मिले भाई।
अब मजबूर न नारी हो कोई, जैसे जमीन में सीता समाई।
जनकसुता क्यों जमीन में गढ़तीं, उनका भी सम्मान हो भाई।
नर-नारी हो सहयोगी, सुखी रहें सब लोग-लुगाई।
अधिकारों की आग में जलकर, कर्तव्यों की राह गँवाईं?
नर-नारी मिल करें प्रतिज्ञा, सत्कर्मो की स्वीकारो बधाई।
बधाई पूर्व करनी होगी, सत्कर्मो की तुम्हें कमाई।
प्रदूषण फैलाकर दीप जलाते, कैसी दीपावली है भाई?
पूजा नहीं, अनुसरण राम का, इसमें सबकी होगी भलाई।
सीता को वनवास मिले ना, पग-पग हो न परीक्षा भाई।
रावण का पुतला मत फूँकों, अन्तर्मन की करो सफाई।
सूपर्णखाँ की नाग कटे ना, शादी का अवसर मिले भाई।
अब मजबूर न नारी हो कोई, जैसे जमीन में सीता समाई।
जनकसुता क्यों जमीन में गढ़तीं, उनका भी सम्मान हो भाई।
नर-नारी हो सहयोगी, सुखी रहें सब लोग-लुगाई।
अधिकारों की आग में जलकर, कर्तव्यों की राह गँवाईं?
नर-नारी मिल करें प्रतिज्ञा, सत्कर्मो की स्वीकारो बधाई।
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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर