यूँ तो वो भीड़ भाड़ में जाने से बचने लगा था लेकिन जब किसी काम से वो मॉल पहुंचा तो बिलकुल वही हुआ जिसका उसे डर था। उसकी विशाखा उसे आज फिर दिख गयी। माफ़ कीजिये विशाखा तो अब उसकी रही ही नहीं थी वो किसी और की हो चुकी थी।
कितना अजीब था कुछ महीनो पहले ही विशाखा और वो हर रोज इसी मॉल में घूमने आते,मूवी देखते और ज़िंदगी को लेकर नए नए सपने बुनते रहते।सालों से चलता आ रहा यह किस्सा उस दिन थम गया जब विशाखा के पिताजी की हार्ट अटैक से मौत हो गयी और उसके रिश्तेदारों ने अपनी जिम्मेदारी निभाने के नाम पर कुछ दिनों में ही उसकी शादी कर दी।उसे तो तब तक यकीन नहीं हुआ था जब तक की विशाखा ने उसके हाथों में अपनी शादी का कार्ड थमा नहीं दिया। उसे यकीन था की विशाखा बस उसकी है और वो शादी नहीं करेगी,पर विशाखा के हाँथ में में कुछ था ही नहीं।
सबसे बुरा जो हुआ वो यह की विशाखा की शादी इसी शहर में हुई थी। जब अनजाने में वो पहली बार विशाखा से इसी मॉल में टकराया तो जैसे जान ही निकल गयी,विशाखा के हाँथ को उसके पति ने थामा हुआ था। यह देखकर उसे ऐसा अहसास हुआ जैसे किसी ने उसकी रूह को उससे छीन लिया हो। उस रात का दर्द जैसे उसकी जान ले लेने वाला था,सीने में कुछ ऐसे चुभता जैसे हज़ारों लोहे की पिन एक साथ उसे चुभाई जा रही हो,वो दर्द ख़त्म तो नहीं किया जा सकता था बस भूलने की कोशिश में वो पूरी रात शराब लेकर बार में बैठा रहा,आँखों में आंसू थमे रहें,कुछ सोचता,कुछ याद करता बिलकुल खोया सा।अचानक उसका फ़ोन बजा और दूसरी तरफ की आवाज़ सुनते ही उसकी आँखों में थमे आंसू बह चले। वो विशाखा की आवाज़ थी,वो सिसक सिसक कर रो रही थी जैसे की सालों से रोना चाहती थी,पूरे दर्द उसे सुना देना चाहती हो। उसे बता देना चाहती हो की वो अब भी तुमसे प्यार करती है। दोनों के आंसू थमे तो सुबह गुजर चुकी थी।
आज जब फिर विशाखा उसे इस मॉल में टकराई तो उसके दिल का दर्द एक बार फिर जाग उठा,जब विशाखा उसकी तरफ देखती तो उसकी आँखों में भी उदासी छा जाती।विशाखा तो चली गयी। लेकिन वो बेचारा कहीं भी जाता मगर विशाखा से दूर नहीं जा सकता था।
वो आज शराब और उस बार से दूर,एक मंदिर पहुंचा और सारा दर्द भगवान को सुनाते हुए कहा प्लीज भगवान उसे मुझसे दूर रख,मैं तो रोते बहकते जी सकता हूँ पर उसे रोते नहीं देख सकता। मैं जानता हूँ भगवान आज फिर वो पगली पूरी रात रोयेगी,कुछ ऐसा कर दो भगवान की हमारे रास्ते अलग हो जाये।वो मेरे लिए रोना छोड़ दें और मैं उसे महसूस करना बंद कर दूँ।कुछ ऐसा कर दो की वो मेरे बिन खुश रहना सीख ले। वो भगवान को ढेर सारी हिदायतें देकर चला आया इस उम्मीद के साथ की अब वो कभी उसे नहीं टकरायेगी।
कितना अजीब था कुछ महीनो पहले ही विशाखा और वो हर रोज इसी मॉल में घूमने आते,मूवी देखते और ज़िंदगी को लेकर नए नए सपने बुनते रहते।सालों से चलता आ रहा यह किस्सा उस दिन थम गया जब विशाखा के पिताजी की हार्ट अटैक से मौत हो गयी और उसके रिश्तेदारों ने अपनी जिम्मेदारी निभाने के नाम पर कुछ दिनों में ही उसकी शादी कर दी।उसे तो तब तक यकीन नहीं हुआ था जब तक की विशाखा ने उसके हाथों में अपनी शादी का कार्ड थमा नहीं दिया। उसे यकीन था की विशाखा बस उसकी है और वो शादी नहीं करेगी,पर विशाखा के हाँथ में में कुछ था ही नहीं।
सबसे बुरा जो हुआ वो यह की विशाखा की शादी इसी शहर में हुई थी। जब अनजाने में वो पहली बार विशाखा से इसी मॉल में टकराया तो जैसे जान ही निकल गयी,विशाखा के हाँथ को उसके पति ने थामा हुआ था। यह देखकर उसे ऐसा अहसास हुआ जैसे किसी ने उसकी रूह को उससे छीन लिया हो। उस रात का दर्द जैसे उसकी जान ले लेने वाला था,सीने में कुछ ऐसे चुभता जैसे हज़ारों लोहे की पिन एक साथ उसे चुभाई जा रही हो,वो दर्द ख़त्म तो नहीं किया जा सकता था बस भूलने की कोशिश में वो पूरी रात शराब लेकर बार में बैठा रहा,आँखों में आंसू थमे रहें,कुछ सोचता,कुछ याद करता बिलकुल खोया सा।अचानक उसका फ़ोन बजा और दूसरी तरफ की आवाज़ सुनते ही उसकी आँखों में थमे आंसू बह चले। वो विशाखा की आवाज़ थी,वो सिसक सिसक कर रो रही थी जैसे की सालों से रोना चाहती थी,पूरे दर्द उसे सुना देना चाहती हो। उसे बता देना चाहती हो की वो अब भी तुमसे प्यार करती है। दोनों के आंसू थमे तो सुबह गुजर चुकी थी।
आज जब फिर विशाखा उसे इस मॉल में टकराई तो उसके दिल का दर्द एक बार फिर जाग उठा,जब विशाखा उसकी तरफ देखती तो उसकी आँखों में भी उदासी छा जाती।विशाखा तो चली गयी। लेकिन वो बेचारा कहीं भी जाता मगर विशाखा से दूर नहीं जा सकता था।
वो आज शराब और उस बार से दूर,एक मंदिर पहुंचा और सारा दर्द भगवान को सुनाते हुए कहा प्लीज भगवान उसे मुझसे दूर रख,मैं तो रोते बहकते जी सकता हूँ पर उसे रोते नहीं देख सकता। मैं जानता हूँ भगवान आज फिर वो पगली पूरी रात रोयेगी,कुछ ऐसा कर दो भगवान की हमारे रास्ते अलग हो जाये।वो मेरे लिए रोना छोड़ दें और मैं उसे महसूस करना बंद कर दूँ।कुछ ऐसा कर दो की वो मेरे बिन खुश रहना सीख ले। वो भगवान को ढेर सारी हिदायतें देकर चला आया इस उम्मीद के साथ की अब वो कभी उसे नहीं टकरायेगी।
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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर