मुंबई। गुंडे, चेन्नई एक्सप्रेस, जब वी मेट और दिल वाले दुल्हनिया ले जाएंगे जैसी फिल्मों में ट्रेन एक सेंट्रल रोल में थी। हर महीने वह एक न एक फिल्म में अहम भूमिका निभा रही है। मेहनताना सवा लाख रुपए रोज। मुंबई के सीएसटी स्टेशन पर सिर्फ इंजन और एक डिब्बे के लिए। चार डिब्बों वाली ट्रेन का ढाई लाख रुपए प्रतिदिन। अच्छे-अच्छे अभिनेताओं से भी ज्यादा। रेलवे को हर साल दो करोड़ से ज्यादा कमाई सिर्फ शूटिंग से हो रही है।
गुंडे, चेन्नई एक्सप्रेस, जब वी मेट और दिल वाले दुल्हनिया ले जाएंगे जैसी फिल्मों में ट्रेन एक सेंट्रल रोल में थी। हर महीने वह एक न एक फिल्म में अहम भूमिका निभा रही है। मेहनताना सवा लाख रुपए रोज। मुंबई के सीएसटी स्टेशन पर सिर्फ इंजन और एक डिब्बे के लिए। चार डिब्बों वाली ट्रेन का ढाई लाख रुपए प्रतिदिन। अच्छे-अच्छे अभिनेताओं से भी ज्यादा। रेलवे को हर साल दो करोड़ से ज्यादा कमाई सिर्फ शूटिंग से हो रही है।
सीएसटी रेलवे स्टेशन की डिमांड है सबसे ज्यादा -
सबसे ज्यादा डिमांड छत्रपति शिवाजी टर्मिनल (सीएसटी) रेलवे स्टेशन की है। इसकी बिल्डिंग वर्ल्ड हेरिटेज साइट की लिस्ट में शामिल है। मुंबई रेलवे के ट्रैक्स पर सालभर में 50 फिल्म से ज्यादा फिल्मों की शूटिंग होती है। हर दिन की शूटिंग के लिए फीस एक लाख से 2.5 लाख है। जो लोकेशन की डिमांड पर निर्भर करती है। कुछ छोटे स्टेशन पर फीस 60-70 हजार प्रतिदिन भी है। फीस के अलावा 5 लाख का सिक्योरिटी डिपॉजिट और 5 करोड़ का इंश्योरेंस भी जरूरी है।
द बर्निग ट्रेन की शूटिंग के बाद लगती है फीस -
पहले रेलवे शूटिंग के लिए इंश्योरेंस और सिक्योरिटी डिपॉजिट नहीं लेता था। लेकिन द बर्निग ट्रेन की शूटिंग के दौरान हुए हादसे और नुकसान के बाद यह जरूरी कर दिया गया। तब शूटिंग की फीस सिर्फ 100 रुपए रोज थी। बीआर चोपड़ा ने एक महीने की इज़ाज़त ली थी। यानी 3000 हजार रुपए। लेकिन सीन को ज्यादा वास्तविक बनाने के लिए उन्होंने ट्रेन के डिब्बों में सचमुच आग लगा दी। यही नहीं शूटिंग के बाद उसका हर्जाना भी नहीं भरा। उसी के बाद से रेलवे ने नए सिरे से नियम बना डाले।
बोनी कपूर ने फिल्माया था सबसे महंगा सीन -
शूटिंग की परमिशन लेने के लिए स्क्रिप्ट जमा करनी पड़ती है। रेलवे संभावित खतरों, नुकसान और अपने टाइमिंग और ट्रैफिक को देखते हुए ही इज़ाज़त देता है। फिल्मों में ट्रेन का इस्तेमाल पहली फिल्म से ही होना शुरू हो गया था। लूमियर ब्रदर ने जब 1895 में दुनिया की पहली फिल्म बनाई तो उसके दूसरे भाग में रेल का सीन था। हमारे यहां सबसे पहली बार ट्रेन 1936 में अछूत कन्या नाम की फिल्म में दिखाई दी थी। लेकिन ट्रेन का सबसे महंगा सीन था बोनी कपूर की फिल्म 'रूप की रानी चोरों का राजा' में। जिसमें अनिल कपूर को हेलिकॉप्टर से मालगाड़ी पर कूदकर पैसा लूटना था। वहीं शोले में ट्रेन डकैती शूट करवाने के लिए हॉलीवुड से एक्सपर्ट बुलवाए गए थे। इसकी शूटिंग में सात हफ्ते लगे थे।
दिल्ली मैट्रो में भी बढ़ रही है शूटिंग की डिमांड -
वहीं, शाहरूख खान ने फिल्म 'दिल से' के गाने छैंया छैंया की शूटिंग ट्रेन की छत पर कर नया ट्रेंड शुरु किया था। रॉ वन फिल्म में ट्रेन के एक शॉट के लिए 23 कैमरों का इस्तेमाल किया गया। कुछ समय पहले मुंबई के वेस्टर्न रेलवे ने कंगना राणावत की मुंबई के आईएएस विश्वास पाटिल निर्देशित फिल्म रज्जो के लिए लोकल ट्रेनें कैंसिल कर दी थीं। इन दिनों दिल्ली की मैट्रो में शूटिंग की भी काफी डिमांड है। फिल्म पा में अमिताभ बच्चन अपनी मां विद्या बालन के साथ मैट्रो में सफर करते थे। सोनम कपूर की दिल्ली-6 में, बेवफा, चीनी कम और देव डी की शूटिंग भी मैट्रो में हुई है।
रेखा को 18 बार लेना पड़ा था रीटेक -
ट्रेन पर शूटिंग करना आसान नहीं होता। फिल्म 'घर' की शूटिंग बाम्बे सेंट्रल की शूटिंग हो रही थी। रेखा को दौड़कर विनोद मेहरा के पास आना था। कभी वे धीमी दौड़ती, कभी ज्यादा तेज। परफेक्ट शॉट लेने के लिए रेखा को 19 बार प्लेटफॉर्म पर दौडऩा पड़ा। यह इस फिल्म का मुहूर्त शॉट था। लेकिन फिल्म में सबसे आखिरी में दिखाया गया था।
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--- संजय सेन सागर