kroyaaa is aalekh ko pura pdhen or prtikriya avshy de shukriyaa
अख्तर खान अकेला
9 hours ago
Girish Pankaj
सबसे पहला धर्म हमारा, वन्दे मातरम
देश हमारा सबसे न्यारा, वन्दे मातरम
देश है सबसे पहले, उसके बाद धर्म आये
सोचो इस पर आज दुबारा, वन्दे मातरम
हिन्दू मुस्लिम, सिख, ईसाई बातें हैं बेकार
देश हमें हो प्राण से प्यारा, वन्दे मातरम
जहां रहें, हम जहां भी जाएँ रखे वतन को याद
जिसने अपना आज संवारा, वन्दे मातरम
देश विरोधी लोगों को हम सिखलाएँ यह बात
सुबह-शाम बस एक हो नारा, वन्दे मातरम
देश हमारी आन-बान है देश हमारी शान
लायेंगे घर-घर उजियारा, वन्दे मातरम
भारत मटा तुम्हें बुलाती लौटो अपने देश
घर आओ ये कितना प्यारा, वन्दे मातरम
जातिधर्म की ये दीवारे कब तक कैद रहें?
तोड़ो-तोड़ो अब ये कारा, वन्दे मातरम
ध्वज अपना है, भाषा अपनी, राष्ट्रगान का मान
राष्ट्र प्रेम की सच्ची धारा, वन्दे मातरम
देश प्रेम ही विश्व प्रेम की है सच्ची शुरुआत,
बिन इसके न होय गुजारा, वन्दे मातरम
अख्तर खान अकेला
3 hours ago
फिर दिल से कहो हम इस मिटटी से प्यार करते है इसी मिटटी में मिलकर फना हो जाना चाहते है और वन्देमातरम कहते ही नहीं वन्देमातरम करके भी दिखाते है वन्देमातरम वन्देमातरम
दोस्तों कल संसद में बसपा के एक मुस्लिम सांसद ने वन्देमातरम गीत का बहिष्कार किया उस पर देश भर में बहस छिड़ी हुई है बात भी सही है के जिसे हम राष्ट्रगीत कहते है उसे हमे बोलने सुनने में दिक्क़त है लेकिन जरा हम अपने सीने पर हाथ रख कर देखे क्या हम इस गीत का सम्मान करते है या फिर इस गीत के नाम पर राजनीति कर वोट कबाड़ने और एक दुसरे को नीचा दिखने की सोचते है ..देश की संसद में इस मामले में चुनाव हुआ और बहुमत के आधार पर राष्ट्रगान जन गन मन सुना गया ..बस वोह राष्ट्रगान हो गया देश के मान सम्मान का प्रतीक होने के कारन इस गायन को सम्मान देने के लियें राष्ट्रिय सम्मान कानून बनाया गया और इस गान के अपमान करने वाले को सजा देने का प्रावधान रखा गया लेकिन चाहे कोंग्रेस सत्ता में रही हो चाहे भाजपा सत्ता में रही हो किसी ने भी वन्दे मातरम गीत को गाने और इसका सम्मान करने के मामले में कोई आचार संहिता कोई कानून नही बनाया केवल ऐच्छिक रखा गया अब ऐच्छिक अगर कोई चीज़ है तो उस मामले में की जीद काम नहीं देती खेर यह तो अलग बात हो गयी है लेकिन जरा सोचिये अपने दिल पर हाथ रखिये जो लोग संसद में राष्ट्रगीत वन्देमातरम गा रहे थे क्या उन्हें इस ईत को गाने का हक है क्या वोह लोग देश से प्यार करते है क्या संसद में बेठे लोगों का चरित्र उन्हें इस गीत को गाने की इजाज़त देता है जो लोग बलात्कारी हो ..बेईमान हो ..मक्कार हो ..फरेबी हो ..रिश्वतखोर हो ..भ्रष्ट हो देश के कानून का मान सम्मान नहीं करते हो दश की सीमाओं का सम्मान नहीं करते हो जिनके दिलों में गीता ..कुरान .बाइबिल ...गुरुवाणी या किसी भी द्र्ह्मे का सम्मान नहीं हो तो क्या वोह लोग उनकी नापाक जुबान से वन्देमातरम जेसा गीत गाने के हकदार है क्या संसद में बेठे बेईमान लोग शपथ लेकर देश के संविधान की धज्जियां उढ़ा कर इस गीत को गाने के हकदार है नहीं न तो फिर यह तमाशा क्यूँ वन्देमातरम पर राजनीति क्यूँ ..एक कट्टर हिन्दू वन्देमातरम पर मुसलमानों को इस गीत का दुश्मन बताकर अपने कट्टरवादी वोट मजबूत करने की कोशिशों में जुटा रहता है तो एक मुसलमान सांसद सिर्फ मुस्लिम वोटों को प्रापत् करने के लियें संसद में इस गीत के गायन के वक्त इस गीत का बहिष्कार करता है हमे शर्म आती है दिल में तो बेईमानी और जुबान पर राजनीति वोह भी पवित्र गीत के नाम पर इस गीत का अहसास कोई समझ नहीं सकता मुख्तलिफ शायरों और मुख्तलिफ विचारधाराओं के लोगों ने इस गीत की व्याख्या अपने आने तरीके से की है मुसलमान कहते है के देश की मिटटी से प्यार करने और इसी मिटटी में फना हो जाने को वन्देमातरम कहते है मुसलमानों का तर्क है के यह उन लोगों के लियें संदेश है जो लोग जुबान से देशभक्ति का दिखावा करते है और इस देश की मीट्टी में मिलने की जगह नदी के जरिये विदेशों के समुन्द्र में समां जाते है ..मुसलमान कहते है के हम जब नमाज़ पढ़ते है तो इस देश की मिटटी पर सर झुका कर अपने खुद तक पहुंचने का रास्ता बनाते है ..मुसलमान कहते है के जब नमाज़ के पहेल उन्हें पानी नहीं मिलता या बीमारी के कारण उनका पानी से परहेज़ होता है तो इसी देश की मिटटी से तहममुम यानी सूखा वुजू कर खुद को पाक कर लेता है और फिर खुद के दरबार में नमाज़ के जरिये इसी सर जमीन पर सजदा कर अपनी हाजरी लगाता है ...इतना ही नहीं मुसलमान इस धरती पर पैदा होता है बढ़ा होता है और मरने पर इसी मिटटी में दफन होकर खुद को फना कर लेता है जबके दुसरे समाज के लोग दिखावे को तो इस मिटटी से दिखावे का नाटक करते है लेकिन जिस धरती में सीता मय्या ने समाकर इस धरती की पवित्रता और मिटटी में मिलजाने का संदेश दिया था वही लोग राख बनकर नदी में भाये जाते है और नदी इनको बहा कर दूर विदेशी समुन्द्रों में लेजाती है ऐसा क्यूँ होता है मुसलमान तो इस मिटटी से अपना रिश्ता मरने के बाद भी रखता है लेकिन दुसरे लोग मरने के बाद इस मिटटी से अपना रिश्ता क्यूँ तोड़ कर दूर विदेशी समुन्द्रों में चले जाते है ........दूसरी तरफ दुसरे समाज का कहना है के मुसलमान वन्देमातरम का अपमान करते है धरती भारत की धरती पर अपना शीश नहीं झुकाते है ..उन्हें भारत से प्यार नहीं और वोह भारत को माँ नहीं मानते भारत माँ का सम्मान नहीं करते इसीलियें इस गीत का अपमान करते है अब वक्त आ गया है के गीतों के नाम पर राजनीति करने वाले लोगों को पकड़ा जाए उनसे सवाल किये जाए उनकी राष्ट्रीयता को परखा जाए और कम से कम मुंह में राम बगल में छुरी रखें वाले चोर बेइमान नेताओं से तो इस गीत को गाने का हक छीन लिया जाए इस गीत को गाने ..इसके सम्मान ..इसके गाने के तरीके स्थान और गीत गाने के हकदारों और इसकी उपेक्षा करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही को लेकर कोई आचार संहिता बनाने की जरूरत है इस गीत के नाम पर राजनीति करने वालों को रोकने की भी आचार संहिता बनाने की जरूरत है और जुबान से नहीं दिल से कर्म से मन से वचन से वन्देमातरम कहने वालों की जरूरत है इसलियें एक बार फिर दिल से कहो हम इस मिटटी से प्यार करते है इसी मिटटी में मिलकर फना हो जाना चाहते है और वन्देमातरम कहते ही नहीं वन्देमातरम करके भी दिखाते है वन्देमातरम वन्देमातरम ..............अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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post Untitled. I was excited enough to leave a thought :-P I actually do have 2 questions for you if it's allright. Could it be only me or do some of these comments come across as if they are coming from brain dead visitors? :-P And, if you are writing on other places, I would like to follow you. Would you list the complete urls of your social pages like your linkedin profile, Facebook page or twitter feed?
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