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इश्वर सबको सदबुद्धि दे....

मै पलकें नीची किये बगल से गुजर जाऊंगा जब तुम किसी पार्क में --------------.रही होगी, क्योंकि मेरे बाप का क्या जाता है?, मै देख कर भी अनदेखा करूँगा क्योंकि, मुझसे क्या मतलब होगा?...तुम कुछ भी करो, मै अपने काम से काम रखूँगा, जब किसी दीवार के पीछे या झाडियों की ओट से या किसी तनहा कमरे से तुम्हारी आहट मिलेगी क्योंकि, तुम्हें अपना भला-बुरा अच्छी तरह पता है!!..पर याद रखना मै उस वक्त भी चुप रहूँगा जब तुम किसी के एक फोन पर उससे मिलने जाओगी इंडिया गेट, या किसी पब या बार के बाहर जब तुम्हारे कपडे तार-तार हो रहे होंगे या जब किसी चलती बस में तुम्हारा बालात्कार हो रहा होगा ....मुझे डर होगा कही तुम फिर मुझे अपना रास्ता देखने की नसीहत न पकड़ा दो ..... मुझे हमेशा दुख रहेगा उन माँ-बाप के लिए जो तुमपर भरोसा करते है...इश्वर सबको सदबुद्धि दे.

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डॉ.प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी के अनन्य वक्ता थे -केदारनाथ सिंह

डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा